वर्तमान में भारतीय नारी की शिक्षा की स्थिति का एक विवेचनात्मक अध्ययन
DOI:
https://doi.org/10.29070/mrg5sf14Keywords:
भारतीय नारी, शिक्षा की स्थितिAbstract
‘‘यत्र नार्यस्ति पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवताः।
यत्रौस्तास्तु न पूज्यन्ते, सवस्तित्राफलः क्रिया।।’’
नारी की की सुदृढ़ व सम्मानजनक स्थिति एक उन्नत, समृद्ध व मजबूत समाज की द्योतक है, प्राचीन धर्मग्रन्थों में ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता’ सूत्र वाक्य द्वारा इसे स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है। हमारे देश में अनेक दार्शनिक और विदुशी महिलाऐं हुई हैं जिन्हें ‘ब्राह्मणवादिनी’ कहा जाता था। इन्होंने शिक्षा के लिये ही अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। मैत्रेयी, गार्गी, लोपामुन्दा, अपाला तथा उर्वशी आदि ऐसी ही विदुशी महिलाऐं थीं। हमारे देश में जहाँ एक ओर लक्ष्मी, सीता, दुर्गा, पार्वती के रूप में नारी को देवतुल्य बताया जाता है वहीं उसे अबला बताकर परम्परा एवं रूढ़ियों की बेड़ी में भी जकड़ा जाता रहा है।
References
पाण्डेय, राम शक्ल, ‘भारतीय शिक्षा की समस्यायें’’
पाठक एवं त्यागी, ‘‘आधुनिक भारतीय शिखा का इतिहास और समस्यायें’’- स्वतंत्र भारत में स्त्री शिक्षा, पृष्ठ 481
पाठक एवं त्यागी, ‘‘आधुनिक भारतीय शिक्षा का इतिहास और समस्यायें’’- मुस्लिम युग में स्त्री शिक्षा, पृष्ठ 476-480
महर्षि, सरस्वती दयानन्द, ‘‘सत्यार्थ प्रकाश’’, तृतीय व चतुर्थ समुल्लास, पृष्ठ 41-63
पाठक एवं त्यागी, ‘‘आधुनिक भारतीय शिक्षा का इतिहास और समस्यायें’’, - पंचवर्षीय योजना में स्त्री शिक्षा, पृष्ठ 485
डॉ. रस्तोगी, कृष्ण गोपाल, ‘‘भारतीय शिखाः विकास और समस्यायें’’
जैन, कैलाष चन्द्र, ‘‘भारतीय समाज में शिक्षा’’ - भारत में नारी शिक्षा की अनिवार्यता
राष्ट्रीय महिला शिक्षा समिति रिपोर्ट, 1958
राष्ट्रीय महिला शिक्षा परिषद् 1959
हंसा मेहता समिति, 1962
शिक्षा आयोग- शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार नई दिल्ली, 1964-66
पाण्डेय रामशक्ल, ‘भारतीय शिखा में उदीयमान प्रवृत्तियां’’
चोबे, सरयू प्रसाद, ‘‘भारतीय शिक्षा संरचना और समस्यायें, विनोद पुस्तक भण्डार, आगरा, 1988
राष्ट्रीय शिक्षा नीति, नई दिल्ली, शिक्षा विभाग, मानव मंत्रालय, विकास मंत्रालय, भारत सरकार, 1986
शाह, ए.वी. ‘‘हायर एजूकेशन इन इण्डिया’’ लालवानी पब्लिशिंग हाउस, बम्बई, कलकत्ता, नई दिल्ली, 1967