बाल श्रम की सामाजिक-कानूनी समस्याएँ: आयामों का एक अध्ययन

Authors

  • शेर सिंह पवार शोधकर्ता, विधि विभाग, एलएनसीटी विश्वविद्यालय, भोपाल, म.प्र.
  • डॉ. नरेंद्र कुमार थापक प्रोफ़ेसर, विधि विभाग, एलएनसीटी विश्वविद्यालय, भोपाल, म.प्र.

DOI:

https://doi.org/10.29070/6vqr9503

Keywords:

सेवा प्रदाता, धारणा, सेवा वितरण, आंगनवाड़ी, आशा कार्यकर्ता, सार्वजनिक स्वास्थ्य, पोषण सेवाएं

Abstract

यह अध्ययन सार्वजनिक सेवा वितरण प्रणाली में कार्यरत सेवा प्रदाताओं की धारणाओं की भूमिका का विश्लेषण करता है। विशेष रूप से स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा क्षेत्रों में कार्यरत अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं जैसे आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता, और सरकारी शिक्षक की दृष्टिकोण, अनुभव और व्यवहार को समझा गया है। यह पाया गया कि सेवा की प्रभावशीलता केवल संरचनात्मक या नीतिगत व्यवस्थाओं पर निर्भर नहीं करती, बल्कि यह भी उतनी ही महत्वपूर्ण है कि सेवा प्रदाता अपने कार्य को किस रूप में देखते हैं कर्तव्य, बोझ, या सामाजिक योगदान के रूप में। शोध से यह भी स्पष्ट हुआ कि यदि सेवा प्रदाताओं को उचित संसाधन, प्रशिक्षण, और सम्मानजनक कार्य वातावरण उपलब्ध कराया जाए तो उनकी धारणा सकारात्मक होती है, जिससे सेवा की गुणवत्ता और पहुँच में सुधार होता है। अध्ययन में विभिन्न नीति दस्तावेज़ों, जमीनी अनुसंधानों और केस स्टडीज के माध्यम से इस मुद्दे की गहराई से विवेचना की गई है।

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Published

2023-10-03

How to Cite

[1]
“बाल श्रम की सामाजिक-कानूनी समस्याएँ: आयामों का एक अध्ययन”, JASRAE, vol. 20, no. 4, pp. 825–830, Oct. 2023, doi: 10.29070/6vqr9503.

How to Cite

[1]
“बाल श्रम की सामाजिक-कानूनी समस्याएँ: आयामों का एक अध्ययन”, JASRAE, vol. 20, no. 4, pp. 825–830, Oct. 2023, doi: 10.29070/6vqr9503.