बुनियादी शिक्षा पर गांधीजी के विचारों का अध्ययन

Authors

  • जयपाल सिंह रिसर्च स्कॉलर, श्रीकृष्ण विश्वविद्यालय, छतरपुर, म.प्र.
  • डॉ. विनीता त्यागी प्रोफेसर, श्रीकृष्ण विश्वविद्यालय, छतरपुर, म.प्र.

DOI:

https://doi.org/10.29070/0pc6sp16

Keywords:

शिक्षा प्रणाली, मूल्यांकन, शिक्षक, प्राथमिक, माध्यमिक विद्यालय, विश्वविद्यालय

Abstract

यह शोधपत्र महात्मा गांधी के शैक्षिक दर्शन, विशेष रूप से उनकी बुनियादी शिक्षा की अवधारणा का विश्लेषण करता है। गांधीजी का मानना था कि शिक्षा केवल बौद्धिक विकास नहीं बल्कि शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास का साधन होनी चाहिए। उन्होंने मातृभाषा में शिक्षण, कुटीर उद्योगों पर आधारित व्यावहारिक शिक्षण, और मूल्य-आधारित शिक्षा को अत्यंत महत्व दिया। इस अध्ययन में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों की प्राथमिक शिक्षा प्रणाली, नामांकन अनुपात, परीक्षा प्रणाली, शिक्षकों की स्थिति, और स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चों की संख्या जैसे व्यावहारिक पहलुओं का विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। इसके अतिरिक्त, उत्तरदाताओं के माध्यम से गांधीजी के दार्शनिक, सामाजिक, और शैक्षिक दृष्टिकोणों की प्रासंगिकता की पड़ताल की गई है। परिणामों से स्पष्ट होता है कि गांधीवादी शिक्षा आज भी ग्रामीण विकास, आत्मनिर्भरता, और नैतिक मूल्यों की स्थापना हेतु अत्यंत प्रभावी मार्गदर्शक सिद्ध हो सकती है।

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Published

2025-04-01

How to Cite

[1]
“बुनियादी शिक्षा पर गांधीजी के विचारों का अध्ययन”, JASRAE, vol. 22, no. 3, pp. 145–158, Apr. 2025, doi: 10.29070/0pc6sp16.

How to Cite

[1]
“बुनियादी शिक्षा पर गांधीजी के विचारों का अध्ययन”, JASRAE, vol. 22, no. 3, pp. 145–158, Apr. 2025, doi: 10.29070/0pc6sp16.