बुंदेली लोकोक्ति एवं मुहावरों में श्री गौरीशंकर उपाध्याय का योगदान
DOI:
https://doi.org/10.29070/q3z6wz43Keywords:
मुहावरे, लोकोक्ति, संस्कृतिAbstract
भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं की समृद्धि का प्रदर्शन प्रायः उनकी लोकोक्तियों और मुहावरों के माध्यम से होता है, जो जनमानस की सामूहिक बुद्धिमत्ता, हास्यबोध और दार्शनिक दृष्टिकोण को व्यक्त करते हैं। बुंदेली, जो उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में बोली जाती है, एक जीवंत बोली है। यह शोधपत्र श्री गौरीशंकर उपाध्याय के उल्लेखनीय योगदान का विश्लेषण करता है, जिन्होंने बुंदेली मुहावरों और लोकोक्तियों को सहेजने, बढ़ावा देने और रचनात्मक रूप से साहित्य में प्रयोग करने का कार्य किया है। यह अध्ययन उनके प्रयासों का भाषाई, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक दृष्टिकोण से मूल्यांकन करता है और यह रेखांकित करता है कि यह दस्तावेजीकरण भारत की सामाजिक-भाषाई विविधता को संरक्षित करने और वर्तमान पीढ़ियों को उनकी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने में कैसे सहायक है।
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