डॉ. नरेन्द्र कोहली के रामकथापरक उपन्यासों में शिल्प और संरचना

Authors

  • अरूधती मण्‍डल शोधार्थी पी.एचडी., हिन्‍दी विभाग, सरदार पटेल विश्‍वविद्यालय, वालाघाट, म.प्र.

DOI:

https://doi.org/10.29070/wcd6aa51

Keywords:

रामकथा, नरेन्द्र कोहली, कथा-विन्यास, पात्र विकास, प्रतीकात्मकता, संवाद शैली, नैतिक द्वंद्व, समकालीनता, दृश्यात्मकता, साहित्यिक शिल्प

Abstract

यह शोधपत्र डॉ. नरेन्द्र कोहली के रामकथापरक उपन्यासों — दीक्षा, अवसर, संघर्ष की ओर, और युद्ध — में प्रयुक्त शिल्पात्मक विशेषताओं, संरचनात्मक संतुलन, संवाद शैली, प्रतीकात्मकता, दृश्यात्मक वर्णन, और पात्रों के मनोवैज्ञानिक विकास का आलोचनात्मक विश्लेषण करता है। कोहली जी ने पौराणिक आख्यान को केवल धार्मिक संदर्भ में न रखते हुए, उसे आधुनिक सामाजिक दृष्टिकोण, नैतिक द्वंद्व और वैचारिक विमर्श से जोड़ा है। उनके उपन्यासों में पौराणिकता और समकालीनता का प्रभावशाली संगम दिखाई देता है, जिससे यह रचनाएँ न केवल साहित्यिक दृष्टि से समृद्ध होती हैं, बल्कि सामाजिक चेतना और सांस्कृतिक संवाद का सशक्त माध्यम भी बन जाती हैं।

References

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Published

2025-04-01

How to Cite

[1]
“डॉ. नरेन्द्र कोहली के रामकथापरक उपन्यासों में शिल्प और संरचना”, JASRAE, vol. 22, no. 3, pp. 230–235, Apr. 2025, doi: 10.29070/wcd6aa51.

How to Cite

[1]
“डॉ. नरेन्द्र कोहली के रामकथापरक उपन्यासों में शिल्प और संरचना”, JASRAE, vol. 22, no. 3, pp. 230–235, Apr. 2025, doi: 10.29070/wcd6aa51.