ग्रामीण महिला सशक्तिकरण में स्वयं सहायता समूहों की भूमिका का एक आर्थिक अध्ययन: मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले के विशेष सन्दर्भ में
DOI:
https://doi.org/10.29070/ejddbr42Keywords:
महिला सशक्तिकरण, स्वयं सहायता समूह, सामाजिक-आर्थिक, सशक्तिकरण, भागीदारी, गरीबी उन्मूलन, आर्थिक विकास आर्थिक स्थितिAbstract
किसी भी राष्ट्र के समावेशी और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए महिला सशक्तिकरण आवश्यक है। भारत में, स्वयं सहायता समूहों को न केवल महिला सशक्तिकरण के लिए बल्कि गरीबी से निपटने के लिए एक प्रभावी रणनीति के रूप में कार्य कर रही है। प्रस्तुत अध्ययन का मुख्य उद्देश्य उन कारकों का आकलन करना है जो स्वयं सहायता समूहों में महिलाओं की भागीदारी को प्रभावित करने वाले कारक एवं सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण पर इसके प्रभाव का आंकलन किया गया हैं। यह अध्ययन स्वयं सहायता समूह के महिला लाभार्थियों के साक्षात्कार के माध्यम से मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के दो विकासखण्ड जैतहरी एवं अनूपपुर के 50 समूहों के कुल 120 महिला सदस्यों से एकत्र किए गए प्राथमिक आंकड़ों पर आधारित है। आकंड़ों के विश्लेषण के आधार पर अधिकांश महिला उत्तरदाता 35-45 आयु वर्ग की हैं, एवं उनकी शैक्षिक योग्यता का स्तर प्राथमिक शिक्षा है और उनमें से अधिकांश विवाहित हैं जो संयुक्त परिवार का हिस्सा हैं। स्वयं सहायता समूह में शामिल होने के बाद महिला सदस्यों द्वारा विभिन्न आय उत्पन्न करने वाली गतिविधियाँ में समिल्लित है, जिसके परिणामस्वरुप महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण अर्थात महिला उत्तरदाताओं के आय, रोजगार के दिन और बचत की मात्रा में वृद्धि हुई है। इस प्रकार स्वयं सहायता समूह आन्दोलन के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं में उनके पारिवारिक संरचना, उम्र, ऋण तक पहुंच, सामुदायिक और भूमि स्वामित्व में भागीदारी महिलाओं को मुख्य रूप से प्रभावित किया है। अतः अध्ययन के निष्कर्ष से ज्ञात होता है कि अध्ययन क्षेत्र में स्वयं सहायता समूह ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जो ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्थिति, आत्मनिर्भरता और सामाजिक भागीदारी में सकारात्मक योगदान रहा है।
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