आधुनिक भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति: ऐतिहासिक विकास और वर्तमान परिप्रेक्ष्य

Authors

  • सोमबीर शोध विद्वान, सनराइज विश्वविद्यालय, अलवर, राजस्थान
  • डॉ. विभूति नारायण सिंह सहायक प्रोफेसर, इतिहास विभाग, सनराइज विश्वविद्यालय, अलवर, राजस्थान

DOI:

https://doi.org/10.29070/x41qme95

Keywords:

महिला सशक्तिकरण, औपनिवेशिक सुधार, स्वतंत्रता आंदोलन, शिक्षा और जागरूकता, सामाजिक बदलाव।

Abstract

भारतीय समाज में महिलाओं की ऐतिहासिक स्थिति को समझना और उनके सशक्तिकरण की दिशा में उठाए गए कदमों का विश्लेषण इस शोध का मुख्य उद्देश्य है। प्राचीन काल में महिलाओं की स्थिति सम्मानजनक थी, लेकिन समय के साथ पितृसत्तात्मक संरचनाओं और सामाजिक रूढ़ियों के कारण उनकी स्थिति में गिरावट आई। औपनिवेशिक काल ने महिलाओं की स्थिति को सुधारने के लिए कई नीतिगत प्रयास किए। सती प्रथा उन्मूलन, विधवा पुनर्विवाह अधिनियम, और महिला शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करना उन सुधारों में शामिल था। हालांकि, ये सुधार मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों और उच्च वर्ग तक सीमित रहे।

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महिलाओं ने सामाजिक और राजनीतिक रूप से संगठित होकर अपनी भूमिका को पुनः स्थापित किया। स्वदेशी आंदोलन और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने महिलाओं को सक्रिय भागीदारी का मंच प्रदान किया। सरोजिनी नायडू और एनी बेसेंट जैसी महिला नेताओं ने न केवल राष्ट्रीय आंदोलनों का नेतृत्व किया, बल्कि महिलाओं को सामाजिक बदलाव की दिशा में प्रेरित भी किया।

वर्तमान समय में, महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए शिक्षा और जागरूकता सबसे महत्वपूर्ण उपकरण हैं। ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में महिलाओं के लिए विशेष योजनाएं बनाना और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए प्रभावी कानून लागू करना आवश्यक है। यह शोध महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए ऐतिहासिक और समकालीन दृष्टिकोणों का समन्वय करता है और उनके सशक्तिकरण के लिए सिफारिशें प्रस्तुत करता है।

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Published

2025-01-01

How to Cite

[1]
“आधुनिक भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति: ऐतिहासिक विकास और वर्तमान परिप्रेक्ष्य”, JASRAE, vol. 22, no. 01, pp. 484–492, Jan. 2025, doi: 10.29070/x41qme95.

How to Cite

[1]
“आधुनिक भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति: ऐतिहासिक विकास और वर्तमान परिप्रेक्ष्य”, JASRAE, vol. 22, no. 01, pp. 484–492, Jan. 2025, doi: 10.29070/x41qme95.