विश्वविद्यालयीन छात्राओं की अष्टमनोस्थितियों पर यौगिक क्रियाओं (हठयोग) का प्रभाव
DOI:
https://doi.org/10.29070/g948bh76Keywords:
विश्वविद्यालयीन छात्राएं, यौगिक क्रियाएं, अष्टमनोस्थितियांAbstract
इस शोध अध्ययन का उद्देश्य यौगिक क्रियाओं का प्रभाव विश्वविद्यालयीन छात्राओं के अष्टमनोस्थितियों पर देखना है | इस शोध के लिए कुल 100 छात्राओं का चयन किया गया है इनको दो समूहों यथा - प्रायोगिक एवं नियंत्रित समूह में विभाजित किया गया है | प्रत्येक समूह में 50-50 प्रयोज्य है इन पर अष्टमनोस्थितियों का परीक्षण प्रयोग किया गया है |
यह परीक्षण अष्टमनोस्थिति प्रश्नावली का हिंदी रूपांतरण एवं भारतीय अनुकूलन कपूर एवं भार्गव (2010) मापनी से किया गया हैं | यौगिक क्रियाएं (षट्कर्म, आसन, प्राणायाम, मुद्रा एवं बंध) योग का एक विशेष अभ्यास है जिसका अभ्यास प्रायोगिक समूह पर 40 मिनट तक दो माह के लिए कराया गया तथा नियंत्रित समूह अपनी दैनिक चर्या का पालन करते रहे | दोनों समूहों का पूर्व परीक्षण तथा दो माह की यौगिक क्रियाओं के अभ्यास के बाद पश्च-परीक्षण किया गया है | ये परीक्षण ‘t’(two-tailed) तथा ‘A’ संड़लर्स परीक्षण से किये गए है जिसकी सार्थक कसौटी α= या p<0.005 की रखी गई| जिससे यह पाया कि विश्वविद्यालयीन छात्राओं की अष्टमनोस्थितियों जैसे चिंता, तनाव, अवसाद, प्रतिगमन, अपराध भाव, थकान, बहिर्मुखता एवम उत्तेजना के अंतर्गत इन प्रयोज्यों में सार्थक सुधार हुआ है | छात्राओं की अष्टमनोस्थितियों के मध्यमानों में सार्थक परिवर्तन देखा गया |
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