घरेलू हिंसा में पुरुष पीड़ित: भारत में सामाजिक जागरूकता, न्यायिक प्रक्रिया और सुधार की आवश्यकता

Authors

  • रेखा देवी शोधार्थी, स्कूल ऑफ लीगल स्टडीज एंड गवर्नेंस, करियर पॉइंट यूनिवर्सिटी, कोटा, राजस्थान
  • डॉ. मिथलेश मालवीय सहायक प्रोफेसर, अनुसंधान पर्यवेक्षक, स्कूल ऑफ लीगल स्टडीज एंड गवर्नेंस, करियर पॉइंट यूनिवर्सिटी, कोटा, राजस्थान

DOI:

https://doi.org/10.29070/1e70n154

Keywords:

घरेलू हिंसा, पुरुष पीड़ित, सामाजिक जागरूकता, न्यायिक प्रक्रिया, कानूनी सुधार, भारत, लैंगिक समानता, मानसिक स्वास्थ्य, कानूनी संरचना, समर्थन प्रणालियाँ

Abstract

भारत में घरेलू हिंसा पर चर्चा अक्सर महिलाओं के संदर्भ में केंद्रित होती है, जबकि पुरुषों के खिलाफ घरेलू हिंसा की समस्या भी गंभीर है। यह लेख पुरुष पीड़ितों की अनदेखी, न्यायिक प्रक्रिया में असमानता, और आवश्यक कानूनी सुधारों पर प्रकाश डालता है। सामाजिक जागरूकता की कमी, कानूनी संरचनाओं की असमानता, और पुरुषों के लिए समर्थन प्रणालियों की अनुपस्थिति इस मुद्दे को और जटिल बनाती हैं। इस अध्ययन का उद्देश्य पुरुष पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक कानूनी और सामाजिक सुधारों की आवश्यकता को रेखांकित करना है।

पुरुष पीड़ितों की समस्याएँ अक्सर शर्म और सामाजिक कलंक के कारण सामने नहीं आ पातीं।
समाज में गहराई से जमी रूढ़िवादी धारणाएँ पुरुषों को हमेशा “सशक्त” मानती हैं, जिससे उनकी पीड़ा अदृश्य रह जाती है। घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005, केवल महिलाओं पर केंद्रित है और पुरुषों की सुरक्षा का कोई प्रावधान नहीं करता।

कई देशों में पुरुष पीड़ितों के लिए हेल्पलाइन और सहायता केंद्र उपलब्ध हैं, जिनका भारत में अभाव है। मीडिया और शोध संस्थान भी इस मुद्दे पर पर्याप्त ध्यान नहीं देते। न्यायिक प्रक्रियाओं में लैंगिक समानता की कमी पुरुषों को उचित संरक्षण से वंचित कर देती है। यह स्थिति केवल कानूनी ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के संकट को भी जन्म देती है।पुरुष पीड़ितों की स्थिति को समझने और उनकी सहायता के लिए डेटा और  अनुसंधान की कमी है।सकारात्मक सुधारों के लिए नीतिगत पहल और जन-जागरूकता अभियानों की आवश्यकता है। यदि समाज और कानून दोनों ही संतुलित दृष्टिकोण अपनाएँ, तो घरेलू हिंसा की समस्या का वास्तविक समाधान संभव हो सकेगा।

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Published

2025-07-01

How to Cite

[1]
“घरेलू हिंसा में पुरुष पीड़ित: भारत में सामाजिक जागरूकता, न्यायिक प्रक्रिया और सुधार की आवश्यकता”, JASRAE, vol. 22, no. 4, pp. 331–334, Jul. 2025, doi: 10.29070/1e70n154.

How to Cite

[1]
“घरेलू हिंसा में पुरुष पीड़ित: भारत में सामाजिक जागरूकता, न्यायिक प्रक्रिया और सुधार की आवश्यकता”, JASRAE, vol. 22, no. 4, pp. 331–334, Jul. 2025, doi: 10.29070/1e70n154.