ग्रामीण महिला स्वावलंबन में स्वराज, स्वदेशी व खादी की भूमिका: महात्मा गांधी के विचारों के विशेष संदर्भ में एक समाजशास्त्रीय अध्ययन

Authors

  • अंजली त्रिपाठी शोधार्थी, समाजशास्त्र विभाग, वनस्थली विद्यापीठ, टोंक, राजस्थान
  • डॉ. राजश्री मठपाल असिस्टेंट प्रोफेसर, वनस्थली विद्यापीठ, टोंक, राजस्थान

DOI:

https://doi.org/10.29070/12g6g655

Keywords:

महिला सशक्तिकरण, आत्मनिर्भरता, सत्याग्रह, राष्ट्रनिर्माता, आर्थिक आत्मनिर्भरता, राजनीतिक आंदोलन

Abstract

महात्मा गांधी ने भारतीय महिलाओं के जागरण और स्वावलंबन की दिशा में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने महिलाओं को न सिर्फ राष्ट्रनिर्माण की प्रक्रिया में उनके सक्रिय भागीदारी हेतु प्रेरित किया बल्कि उनके अधिकारों, कर्तव्यों और आत्मविश्वास को भी सशक्त बनाया। महात्मा गांधी का यह मानना था कि आर्थिक स्वतंत्रता व स्वावलम्बन महिला सशक्तिकरण का मूल आधार है। इसी उद्देश्य से उन्होंने महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को स्वदेशी, स्वराज और खादी से जोड़ा तथा उन्हें चरखा-कताई और बुनाई के माध्यम से आर्थिक आत्मनिर्भरता की राह दिखाई।

खादी आंदोलन और विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार में महिलाओं की भागीदारी ने स्वदेशी आंदोलन को व्यापक जनाधार प्रदान किया। इस प्रकार, महिलाओं की पारंपरिक घरेलू भूमिका को राष्ट्रीय आंदोलन से एकीकृत कर उन्होंने स्वावलंबन और स्वराज की ठोस नींव रखी।

प्रस्तुत शोध पत्र का उद्देश्य ऐतिहासिक एवं वर्णनात्मक पद्धति के माध्यम से द्वितीयक आंकड़ों (पुस्तकें, शोधपत्र, पत्र-पत्रिकाएँ) के आधार पर यह अध्ययन करना है कि महात्मा गांधी के विचारों में स्वराज, स्वदेशी और खादी ने ग्रामीण महिलाओं के स्वावलंबन में किस प्रकार योगदान दिया।

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Published

2025-07-01

How to Cite

[1]
“ग्रामीण महिला स्वावलंबन में स्वराज, स्वदेशी व खादी की भूमिका: महात्मा गांधी के विचारों के विशेष संदर्भ में एक समाजशास्त्रीय अध्ययन”, JASRAE, vol. 22, no. 4, pp. 335–342, Jul. 2025, doi: 10.29070/12g6g655.

How to Cite

[1]
“ग्रामीण महिला स्वावलंबन में स्वराज, स्वदेशी व खादी की भूमिका: महात्मा गांधी के विचारों के विशेष संदर्भ में एक समाजशास्त्रीय अध्ययन”, JASRAE, vol. 22, no. 4, pp. 335–342, Jul. 2025, doi: 10.29070/12g6g655.