सत्याग्रह और महात्मा गांधी (एक विष्लेषणात्मक अध्ययन)
DOI:
https://doi.org/10.29070/p8yt4g69Keywords:
महात्मा गांधी, सत्याग्रह, निष्क्रिय प्रतिरोध, रचनात्मक कार्यक्रम, असहयोग, सविनय अवज्ञा, हड़ताल, बहिष्कार, धरना, उपवासAbstract
‘साहित्यिक दृष्टि से सत्याग्रह एक संयुक्त शब्द है - जो सत्य + आग्रह शब्द से मिलकर बना है।’
गांधी ने अपने सम्पूर्ण जीवन को ‘सत्य के साथ प्रयोगों की संज्ञा दी । आधुनिक विश्व के इतिहास में संभवतः वे एकमात्र ऐसे विचारक हैं, जिन्होंने व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक जीवन के दोनों क्षेत्रों में समान रूप से ‘सत्य को कर्म की कसौटी माना । उनके लिए सत्य न तो पूर्ण रूप से अमूर्त है न ही मात्र भौतिक एवं तत्कालीन वस्तुस्थिति द्वारा परिसीमित। उनकी दृष्टि में सत्य एक स्तर पर शाश्वत जीवन मूल्यों का पर्याय है तथा दूसरे स्तर पर सामाजिक, सामयिक, वैयक्तिक और राजनीतिक सरोकारों को समझने का अर्थपूर्ण माध्यम सत्याग्रह के माध्यम से गांधी ने हिंसक जगत को अहिंसा की शिक्षा दी।
References
विष्वनाथ प्रसाद वर्मा: आधुनिक भारतीय राजनीतिक चिन्तन, पृष्ठ - 273 ।
इण्डियन ओपिनियन का गोल्ड़न नम्बर, पृष्ठ - 9 महादेव प्रसाद: उपरोक्त ।
वी. पी. वर्मा, गांधीयन कान्सेप्ट आॅफ स्टेट लक्ष्मीनारायण, अहमदाबाद, सन् - 1965, पृष्ठ - 9 ।
वी. पी. वर्मा, आधुनिक भारतीय राजनीतिक चिंतन, लक्ष्मीनारायण अग्रवाल, आगरा, सन् 2000, पृष्ठ - 359
मोहनमाला, नवजीवन ट्रस्ट, अहमदाबाद सन् 1997, पृष्ठ - 58 ।
यंग इण्डिया, 3 नवम्बर - 1927 ।
गोपीनाथ धवन, दि पोलिटिकल फिलाॅसफी आॅफ महात्मा गांधी, नई दिल्ली, दि गांधी पीस फाउण्डेषन, सन् 1990, पृष्ठ - 25, 27 ।
हरिजन , 14 मार्च , 1936 ।
आदि एच. डाक्टर, ए प्रोब इन्टू दि गांधीयन काॅन्सेप्ट आॅफ अहिंसा, कलकत्ता रेसिस्टैंस पब्लिषर्स, सन् 1962 - 51, 52
हिन्द स्वराज्य - सस्ता साहित्य मण्डल, नई दिल्ली, सन् - 1958, पृष्ठ - 88 ।
एस. एल. वर्मा एवं बी. एम. शर्मा, भारतीय राजनीतिक विचारक, पृष्ठ - 251
डॉ. रामरतन एवं डॉ. शारदा शोभिका, महात्मा गांधी की राजनीतिक अवधारणाएँ, कलिंगा पब्लिकेषन, दिल्ली, सन् 1992, पृष्ठ - 109 - 114
पटाभि सीतारमैया, गांधीवाद, भाग-1, पृष्ठ - 102 - 109
के. एल. कमल, गांधी चिन्तन, जयपुर पब्लिकेषन हाउस, जयपुर, सन् 1996, पृष्ठ-151
के. एल. कमल, वही पृष्ठ - 51 ।
हरिजन, 21 अप्रैल, 1946 ।
हरिजन, सेवक, 18 मार्च, 1939 ।
हरिजन, सेवक, वही ।






