भारत में महिला सशक्तिकरण के समक्ष सामाजिक निर्योग्यताएं: एक समाजशास्त्रीय अध्ययन
DOI:
https://doi.org/10.29070/yv5yqw88Keywords:
महिला सशक्तिकरण, सामाजिक निर्योग्यता, अवसरों की समानता, महिला स्वावलंबनAbstract
भारत में महिला सशक्तिकरण एक बहुआयामी सामाजिक प्रक्रिया है, जो केवल आर्थिक अवसरों की उपलब्धता पर निर्भर नहीं करती, बल्कि सामाजिक संरचनाओं, सांस्कृतिक मान्यताओं, पारिवारिक नियंत्रण और लैंगिक पूर्वाग्रहों से भी प्रभावित होती है। अतः प्रस्तुत शोध-पत्र भारत में महिला सशक्तिकरण के समक्ष उपस्थित सामाजिक निर्योग्यताओं जैसे पितृसत्तात्मक मान्यताएँ, शिक्षा व स्वास्थ्य में असमानता, आर्थिक निर्भरता, लैंगिक आधारित हिंसा, तथा जाति-वर्ग आधारित भेदभाव का समाजशास्त्रीय विश्लेषण प्रस्तुत करता है। उक्त अध्ययन में द्वितीयक स्रोतों, जैसे सरकारी रिपोर्टों और अंतरराष्ट्रीय सूचकांकों के आँकड़ों का उपयोग किया गया है। साथ ही शोध को समाजशास्त्रीय दृष्टि से समझने हेतु विभिन्न सैद्धांतिक परिप्रेक्ष्यों को आधार बनाया गया है जिसमें पितृसत्ता सिद्धांत, नारीवादी सिद्धांत, संघर्ष सिद्धांत तथा कार्यात्मक सिद्धांत जैसे दृष्टिकोण शामिल किए गए हैं। निष्कर्ष से ज्ञात होता है कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में प्रगति के लिए केवल कानून पर्याप्त नहीं, बल्कि संरचनात्मक एवं सांस्कृतिक परिवर्तन भी आवश्यक हैं।
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