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संत जगजीवनदास की दार्शनिक प्रासंगिकता: अपनी बुद्धि के कारण ही मानव विश्व की अन्य वस्तुओं को देखकर उनके स्वरूप को जानने की चेष्टा. JASRAE 2018, 15 (9), 521-525.