1.
संत जगजीवनदास की दार्शनिक प्रासंगिकता: अपनी बुद्धि के कारण ही मानव विश्व की अन्य वस्तुओं को देखकर उनके स्वरूप को जानने की चेष्टा. JASRAE. 2018;15(9):521-525. Accessed August 21, 2025. https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/8891