[1]
“भक्तिकालीन सगुण और निर्गुण धारा: सामाजिक, धार्मिक, और साहित्यिक परिप्रेक्ष्य”, JASRAE, vol. 22, no. 4, pp. 174–178, Jul. 2025, doi: 10.29070/sa2szg86.