केंचुआ की विभिन्न प्रजातियों के लिपिड घटकों पर भारी धातु के प्रभाव का अध्ययन
भारी धातु के प्रभाव पर केंचुओं का अध्ययन: लिपिड घटक और जैविक कचरे के प्रयोग का विश्लेषण
by Archana Saraf*, Dr. Asgar Singh,
- Published in Journal of Advances in Science and Technology, E-ISSN: 2230-9659
Volume 17, Issue No. 1, Mar 2020, Pages 222 - 226 (5)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
केंचुए महत्वपूर्ण जैविक स्रोत हैं जिनमें जबरदस्त क्षमता वाली कृषि प्रणाली है। भारत एक विविधतापूर्ण देश है जहां केंचुओं की अत्यधिक विविधता पाई जाती है। केंचुओं ने विभिन्न क्षेत्रों में अपने व्यापक अनुप्रयोग के कारण भारत और विदेशों में नए सिरे से वैज्ञानिक ध्यान आकर्षित किया है। इनका उपयोग सदियों से कचरे के अपघटन और मिट्टी की संरचना में सुधार के साधन के रूप में किया जाता रहा है। केंचुए लाभकारी मिट्टी के सूक्ष्म वनस्पतियों का दोहन करने और रोगज़नक़ों को नष्ट करने के लिए बहुमुखी प्राकृतिक जैव रिएक्टरों की सेवा करते हैं, इस प्रकार जैव उर्वरकों, जैव कीटनाशकों, विटामिनों, एंजाइमों, एंटीबायोटिक्स, विकास हार्मोन और प्रोटीनयुक्त कृमि बायोमास जैसे मूल्यवान उत्पादों में जैविक कचरे को परिवर्तित करते हैं। विभिन्न पहलुओं के सूचकांक पर भारी धातु के प्रभाव का अध्ययन किया जाएगा
KEYWORD
केंचुआ, लिपिड घटक, भारी धातु, वैज्ञानिक ध्यान, जैविक कचरा