अध्यापक – शिक्षा में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् एवं राज्य सरकार की भूमिका

शिक्षा में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की भूमिका

by Dr. S. K. Mahto*,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 18, Issue No. 1, Jan 2021, Pages 305 - 309 (5)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

शिक्षा मानव विकास का एक मूल साधन है। यदि किसी भी व्यक्ति को जीवन में सफलता प्राप्त करनी है तो शिक्षा उसके लिए अति आवश्यक है। शिक्षा व्यक्ति की योग्यताओं का विकास करके उसे प्राकृतिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक वातावरण के योग्य बनाती है। शिक्षा जीवन पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है तथा इसके प्रत्येक अनुभव से व्यक्ति में स्वयं के बारे में तथा अपने वातावरण के बारे में सूझ-बूझ विकसित होती है। जिस प्रकार एक विद्यार्थी को सफलता प्राप्त करने में उसकी अच्छी शिक्षा ही उसका साथ देती है। ठीक उसी प्रकार एक अध्यापक बनने के लिए उसकी शिक्षा में गुणात्मक सुधार तथा शिक्षण प्रभावशीलता को विकसित करने के लिए अध्यापक को भी शिक्षा की आवश्यकता है। अध्यापक शिक्षा को आवश्यक सेवागत सुविधाओं को प्रदान करने के लिए तथा गुणवता सम्बन्धी मानदण्डों को प्रस्तुत करते हुए उचित नियन्त्रण व्यवस्था को बनाये रखने के लिए उच्च स्तरीय अभिकरणों की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है, जिनके अभाव में उचित दायित्वबोध का विकास और सेवा सन्तुष्टि की उपलब्धि संभव नहीं हो पाती। इस दायित्व को निभाने के लिए देश में महत्वपूर्ण अभिकरण उच्च शिक्षा तथा अध्यापक शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर पर कार्यरत है। सामान्यतः राष्ट्रीय स्तर पर जो अध्यापक शिक्षा के लिए अभिकरण कार्यशील है उनमें राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद का (NCTE) का नाम अग्रणी है। इस परिषद का केन्द्रीय कार्यालय दिल्ली में हैं और उत्तर भारत का क्षेत्रीय कार्यालय जयपुर में था जो इन दिनों दिल्ली में कार्यरत है। अध्यापक शिक्षा का विस्तृत पाठयक्रम तो NCTE ने तैयार किया है जबकि यही पाठ्यक्रम प्राथमिक स्तर पर दो वर्ष में पूरा होता है और माध्यमिक स्तर पर 180 दिनों में। इस बात को देखते हुए बी.एड. पाठ्यक्रम की पूर्णता व सफलता का अनुमान लगाया जा सकता है। शिक्षक तैयार करने का कार्य अधिकांश स्तर पर निजी संस्थाएँ ही कर रही है, जिनका शिक्षा से दूर-दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं रहा है। उनका उद्देश केवल धन कमाना है। अगर हम वास्तव में ही शिक्षा के क्षेत्र में सुधार चाहते हैं तो आवश्यकता है वास्तविक परिवर्तन की। कार्य व्यावहारिक तथा सैद्धान्तिक पक्षों को लेकर हो। शिक्षकों में उन सभी गुणों का विकास करें। जिसके माध्यम से एक एक प्रशिक्षणार्थी कुशल अध्यापक बन सके।

KEYWORD

शिक्षा, अध्यापक, शिक्षण, संभव, विकास, राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद, नाम