कृष्ण काव्य एवं कृष्णभक्त कवियों का अध्ययन
The Study of Krishna Poetry and Devotional Poets
by Neha Rao*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 18, Issue No. 5, Aug 2021, Pages 183 - 188 (6)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
इस अध्ययन में कृष्ण काव्य परंपरा पर विचार किया गया है। इस परंपरा में सूरदास का क्या स्थान है, इस पर भी प्रकाश डाला गया है। कृष्णकाव्य की परंपरा काफी प्राचीन है। इस परंपरा का विकास संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश आदि के काव्यों से होता हुआ हिंदी में आया है। हिंदी में सूरदास के अलावा अन्य कई कवियों ने कृष्ण का गुणगान किया है। इस परंपरा में अनेक महत्वपूर्ण कवियों में सूरदास का विशिष्ट स्थान है। इस पाठ में कृष्णकाव्य परंपरा के प्रतिनिधि कवि सूरदास का महत्व प्रतिपादित किया जाएगा। सूरदास भक्तिकाल के श्रेष्ठ कवि हैं। वे कृष्ण के उपासक हैं। इन्हें कृष्णभक्ति काव्य परंपरा का सर्वश्रेष्ठ कवि स्वीकार किया जाता है। सूर पुष्टिमार्गी थे। इनकी भक्ति प्रेमाभक्ति थी। प्रेमाभक्ति में समर्पण को ही सब कुछ माना गया है। भारतीय वांगमय में बहुत पहले से ही कृष्ण का उल्लेख मिलने लगता है। उनकी लीलाओं का भारतीय साहित्य में अनेक विधि वर्णन हुआ है।
KEYWORD
कृष्ण काव्य, कृष्णभक्त कवियों, अध्ययन, सूरदास, परंपरा, हिंदी, महत्वपूर्ण कवि, कृष्ण का गुणगान, प्रेमाभक्ति, भारतीय साहित्य