प्रचलित जयन्तियों के माध्यम से भारतीय जन मानस के जीवन में रीति एवं संस्कृति का प्रसार एवं विकास
प्रसार और विकास के माध्यम से भारतीय जन मानस की जीवन रीति और संस्कृति
by Dr. S. K. Mahto*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 18, Issue No. 7, Dec 2021, Pages 64 - 69 (6)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
भारत की इस पवित्र धरा पर अनेक संत महात्माओं, राजनेताओं, वैज्ञानिकों एवं समाजसुधारकों ने जन्म लिया है जिनका जीवन, चरित्र अत्यंत उज्जवल, संघर्षपूर्ण, सत्य एवं अहिंसा पर आधारित रहा है। इन महान् विभूतियों ने साधारण से साधारण घर में जन्म लेकर भी कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प एवं दृढ़निष्ठा से कार्य करते हुए पूरे विश्व में अपनी कीर्ति प़ताका फहराई है। समाज में व्याप्त बुराईयों को दूर कर मानव मूल्यों को पुनः स्थापित कर समाज को एक नई दिशा दी है। उनके संघर्षपूर्ण जीवन की अनेक घटनाएँ अत्यंत प्रेरणादायी है। विद्यालयों में देश के इन महापुरूषों की जयंतियाँ मनाई जाती है। इन सभी को मनाने का उद्देश्य एकमात्र यही है कि देश की भावी पीढ़ी संत -महात्माओं, पुरूषों के संदेशों को अपने हृदयगंम कर अपने जीवन को उज्जवल बनाकर उनके संघर्षो से प्रेरणा प्राप्त कर सकें तथा भारतीय रीति एवं संस्कृति से अवगत हो सके। ये जयंतियाँ समाज और व्यक्ति को जीवन्तता प्रदान करते हैं तथा विविधता में एकता का भाव उत्पन्न करते हैं।
KEYWORD
जयन्तियाँ, भारतीय जन मानस, रीति, संस्कृति, संत महात्माओं