गुप्त शासकों के सिक्कों पर अंकित वस्त्राभूषण तथा केश विन्यास का अध्ययन

Exploring the Garments and Hairstyles of Gupta Rulers through their Coinage

by Anita KumarI*, Dr. Vinod Kumar Yadavendu,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 18, Issue No. 7, Dec 2021, Pages 457 - 461 (5)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

भोजन के समान मानव-जीवन के लिए वस्त्र भी आवश्यक है । इसका प्रयोग सभ्य व्यष्टि द्वारा केवल ठण्ड से सुरक्षा के लिए ही नहीं किया गया, अपितु स्वच्छता और सौन्दर्यता के लिए भी किया गया । मुख्यतः वस्त्रों का चयन एक देश के मौसम पर आधारित होता है, परन्तु इसके साथ-ही-साथ स्थानीय रीति-रिवाज के आधार पर भी इनका स्वरूप निश्चित होता है । गुप्त सिक्के गुप्त युग में प्रचलित विभिन्न प्रकार के परिधानों की सूचना देते हैं । चूँकि सिक्के सामान्यतः राजाओं, रानियों तथा देवी - देवताओं का अंकन ही प्रदर्शित करते हैं, अतः इनके आधार पर सामान्यीकरण करते समय हमें सावधान रहना होगा । गुप्त-युग केवल राजनीतिक उपलब्धियों के लिए ही विख्यात नहीं है, अपितु इस गुप्त सिक्कों पर अंकित आकृतियों से धोती और साड़ी की कलात्मक चुन्नटें कमरबन्द की सुन्दरता से लगाई गई. काल में भौतिक संस्कृति भी किसी से पीछे न रही । तत्कालीन उच्च वर्ग की वेश-भूषा पर प्रकाश पड़ता है । चन्द्रगुप्त द्वितीय के धनुर्धारी प्रकार के सिक्कों पर गुप्त- नरेश के केश घुँघराले प्रायः पीठ की ओर स्वतन्त्र रूप से लहराते हुए अंकित हैं । कभी-कभी इन सिक्कों पर अंकित राजा के शीर्ष पर घुंघराले केश विग के समान प्रदर्शित किये गये हैं । कभी-कभी बड़े कलात्मक ढंग से बिखरे हुए केश शीर्ष पर प्रदर्शित किये गये हैं- । कुछ सिक्कों पर घुंघराले केश दो पंक्तियों में गर्दन की ओर लटक रहे हैं । कुछ सिक्कों पर घुंघराले केश बड़े ही सुन्दर ढंग से तीन पंक्तियों में दिखाई देते हैं ।

KEYWORD

गुप्त शासकों, सिक्कों, वस्त्राभूषण, केश विन्यास, व्यष्टि, स्वच्छता, सौंदर्यता, मौसम, रीति-रिवाज, गुप्त युग