जनपद रूद्रप्रयाग में जातीय विश्लेषण एंव सामाजिक क्रिया-कलाप

जातियों-प्रजातियों के विश्लेषण के माध्यम से जनपद रूद्रप्रयाग की सामाजिक क्रिया-कलाप की अध्ययन

by मंजू पुरोहित*,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 19, Issue No. 1, Jan 2022, Pages 582 - 586 (5)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

जनपद रूद्रप्रयाग के मूल निवासियों पर नजर डालें तों यह के मूल निवासियों के वंशजों को पहचानना मुश्किल हो जाता है क्योंकि यहाँ की जनसंख्या में विभिन्न जातियों-प्रजातियों के क्रमिक आवागमन के फलस्वरूप एक ऐसी मिश्रण तैयार हो गया है जिसे समझना एक दुष्कर कार्य है, तथापि कोल जाति को यहां के मूल निवसी वंशज (द्रवीणन) के रूप मे जाने जाते है जो वर्तमान समय में कोल्टा, कोली व शिल्पकार के रूप में जाने जाते हैं। कालान्तर में खरा मंगोलाइड तथा ककसाइड मूल की प्रजातियों ने इस क्षेत्र में क्रमिक रूप से प्रवेश किया, ये दोनों प्रजातियां वर्तमान जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करती है, यह 1200-2400 मीटर के मध्य शीतोष्ण कटिबन्धीय पेटी में वितरित है। खस अपने तीखे नैन-नक्श लम्बी नाक ऊँचा कद तथा गौरा वर्ण से आसानी से पहचाने जा सकते हैं। वर्तमान समय में इनकी अलग से गणना नही होती है और न ही सामाजिक दृष्टि से भेद किया जाता है। मध्यकालीन युग में इस क्षेत्र में हुये अन्तः प्रवास में आयी वैष्णव भारतीय वैदिक जनसंख्या से इनका मिश्रण बहुत अधिक हुआ। केवल घाटी क्षेत्र में ही कहीं-कहीं सामाजिक विभेद आज भी देखा जा सकता है। केदारनाथ यात्रा के माध्यम से भी भारत के विभिन्न भागों (बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब तथा कश्मीर इत्यादि) से आकार लोग यहाँ बसते रहे। प्राचीन समय में जब आवागमन के साधन नही थे तीर्थ यात्रियों का एक बडा भाग इन्हीं क्षेत्रों की मुख्य घाटियों में बस जाता था। सम्भवतः यहां का प्राकृतिक वातावरण भी उनको यहां बसने के लिए प्रेरित करता रहा होगा। क्षेत्र में प्रवास को एक सीमा तक यह भी कहा और माना जाता है कि केदारनाथ व मद्महेश्वर में नियुक्त दक्षिण भारतीय पुजारियों ने भी प्रभावित किया है। ये पुजारी ऊखीमठ में रावल शैव, कौशिक तथा खाट और वामशू, गुप्तकाशी में पण्डे शुक्ला वाजपेयी इत्यादि जाति के लोग रहते हैं। इस जनपद में कुछ परिवार ऐसे भी मिल जायेंगे जिनकी दूसरी तथा तीसरी पीढ़ी गढ़वाल में ही जन्मी है। इस प्रकार यात्रा पथों के आस-पास यहां भी जनसंख्या में पर्याप्त समिश्रण हुआ है। यह समिश्रण 1200 मीटर से नीचे के क्षेत्रों में अधिक मिलता है।

KEYWORD

जनपद रूद्रप्रयाग, जातियों-प्रजातियों, विश्लेषण, सामाजिक क्रिया-कलाप, मूल निवासियों