निराला के कथा साहित्य में नारी की समस्या और योगदान

भारतीय सुसंस्कृति में नारी का सम्मान एवं स्थान

by Krishna Kanti Bhagat*, Dr. Mamta Rani,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 19, Issue No. 3, Apr 2022, Pages 322 - 325 (4)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

मनुष्य स्वभावतः सामाजिक एवं प्रकृति धर्मा प्राणी है।समाज और प्रकृति दोनों का उसके व्यक्तित्व के साथ गहरा संबंध है।है। नारी सृष्टि का आधार है। उसके बिना सृष्टि की कल्पना भी संभव नहीं है।वह बेटी, बहन, पत्नी, मां, प्रेमिका आदि जैसे विभिन्न रूपों में पुरुष का समर्थन करती रही है।मानव सभ्यता की शुरुआत से ही दुनिया मुख्यतः दो प्रकार के उत्पादनों के बल पर आगे बढ़ रही है। पहला सन्तानोत्पादन और दूसरा आर्थिक उत्पादन। आर्थिक उत्पादन का अर्थ है - जीवन के लिए उपयोगी वस्तुओं जैसे खाना, कपड़ा आदि का उत्पादन करना।सामाजिक कुरीतियों की बेड़ियों से मुक्त, शिक्षा के प्रकाश से आलोकित, आर्थिक स्वतंत्रता की दिशा में गतिशील नारी आज दिखाई दे रही है, उसके पीछे समाज सुधारकों, राजनेताओं, महिला आंदोलनकारियों के सवा सौ वर्ष के संघर्ष का रोचक इतिहास है।

KEYWORD

निराला के कथा साहित्य, नारी, समस्या, योगदान, मानव सभ्यता