बौद्ध साहित्य के आधार पर स्त्री शिक्षा
Exploring the Principles of Women's Education in Buddhist Literature
by Piyush Kumar Shukla*, Dr. Devendra Kumar,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 19, Issue No. 4, Jul 2022, Pages 339 - 345 (7)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
प्रस्तुत शोधपत्र में बौद्ध दर्शन में स्त्री शिक्षा का अध्ययन पर प्रकाश डाला गया है। ईसा पूर्व छठी शताब्दी में धार्मिक आन्दोलन का प्रबलतम रूप हम बौद्ध धर्म की शिक्षाओं तथा सिद्धांतों में पाते है जो पालि लिपि में संकलित है, जैन परंपरा को ईसा की पाचवी शताब्दी में लिखित रूप प्रदान किया गया, इस कारण बौद्ध धर्म से संबंद्ध पालि साहित्य वैदिक ग्रंथों के बाद सबसे प्राचीन रचनाओं की कोटि में आता है। बौद्ध धर्म के समुचित ज्ञान के लिए इस धर्म के त्रिरत्न - बुद्ध धर्म तथा संघ तीनों का अध्ययन आवश्यक है। शिक्षा मनुष्य के सर्वांगीण विकास का माध्यम है इससे मानसिक तथा बौद्धिक शक्ति तो विकसित होती है भौतिक जगत का भी विस्तार होता है। बौद्ध दर्शन की शिक्षाएं सर्वकालिक एवं सर्वदेशिक हैं। तृष्णा चाहे आज के मानव की हो अथवा आज से पहले के, वह सदैव विनाशकारी तथा सकल दुःखों की जननी है। पदार्थो की लिप्सा कभी शांत नही हो सकती है। बुद्ध की शिक्षाएं समस्त मानव मात्र के लिए थी, किसी विशेष वर्ग के लिए नहीं। इनमें स्त्री-पुरुष, धर्म आदि का कोई भेद स्वीकार्य न था।
KEYWORD
बौद्ध साहित्य, स्त्री शिक्षा, बौद्ध दर्शन, पालि साहित्य, त्रिरत्न