प्राचीन भारतीय आदिवासी जनजातियों का रहन-सहन एवं धार्मिक जीवन: एक ऐतिहासिक अध्ययन

Exploring the Socio-religious Life of Ancient Indian Indigenous Communities

by Gaurav Suman*, Dr. Ramakant Sharma,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 15, Issue No. 3, May 2018, Pages 509 - 515 (7)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

आदिवासी जनजातियाँ भारत के विभिन्न राज्यों में प्राचीन काल से ही मूल जाति के रूप में निवास करती आ रही है। इनकी सामाजिक, आर्थिक धार्मिक एवं सांस्कृतिक जीवन शुरू से ही अपनी विशिष्टताओं के कारण प्रसिद्ध है। संसार में ऐसा कोई देश नही है जिसमें सामाजिक और राजनैतिक जीवन पर धर्म ने भारत से ज्यादा प्रभाव डाला हो। हिन्दू समाज में पाये गए धर्म के प्राचीन स्वरूप के रूप में जनजाति धर्म है। आदिवासी जनजातियों के धर्म और संस्कृति को समझने के लिए भारतीय जनजाति धर्म की महत्वपूर्ण विशेषताओं पर चर्चा करना आवश्यक होगा। इसलिए आदिवासी लोगों के विश्वास, सांस्कृतिक रीति-रिवाज, विचार, अनुष्ठान एवम् संस्कार, नीतियाँ, देवी और देवताओं, पर्व-त्यौहारों, वैवाहिक प्रथाओं, मृत्यु सम्बन्धी (दाह संस्कार) प्रथाएँ, लोकगीतों इत्यादि की चर्चा करनी अनिवार्य होगी।

KEYWORD

आदिवासी जनजातियाँ, रहन-सहन, धार्मिक जीवन, ऐतिहासिक अध्ययन, विशेषताएं, भारतीय जनजाति धर्म, सांस्कृतिक रीति-रिवाज, अनुष्ठान, नीतियाँ, लोकगीत