नयी कविता का उदय, विकास तथा स्वरूप

The Emergence, Development, and Nature of New Poetry

by Rachna .*, Dr. Sumitra Chaudhary,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 15, Issue No. 5, Jul 2018, Pages 544 - 548 (5)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

उन इने-गिने भारतीय रचनाकारों में से एक हैं जिन्होंने बीसवीं शताब्दी में भारतीय संस्कति, भारतीय परम्परा, भारतीय आधुनिकता के साथ साहित्य-कला-संस्कृति, भाषा की बुनियादी समस्याओं, चिन्ताओं, प्रश्नाकुलताओं से प्रबुद्ध पाठकों का साक्षात्कार कराया है। व्यक्तित्व की खोज, अस्मिता की तलाश, प्रयोग-प्रगति, परम्परा-आधुनिकता, बौद्धिकता, आत्म-सजगता, कवि-कर्म में जटिल संवेदना की चुनौती, रागात्मक सम्बन्धों में बदलाव की चेतना, रूढि और मौलिकता, आधुनिक संवेदन और सम्पे्रषण की समस्या, रचनाकार का दायित्व, नयी राहों की खोज, पश्चिम से खुला संवाद, औपनिवेशिक आधुनिकता के स्थान पर देशी आधुनिकता का आग्रह, नवीन कथ्य और भाषा-शिल्प की गहन चेतना, संस्कृति और सर्जनात्मकता आदि तमाम सरोकारों को अज्ञेय किसी न किसी स्तर पर रचना-कर्म के केन्द्र में लाते रहे हैं। उन्होंने नयी रचना-स्थिति की चुनौतियों पर अनेक कोणों से विचार किया हैं आधुनिक हिन्दी-साहित्य में पुनः सम्भव बनाया। वे साहित्य की सभी विधाओं में लगभग साठ वर्षों तक साहित्य-साधना में निरन्तर समर्पित रहे। (वह हिन्दी-भाषियों के साथ अहिन्दी भाषियों के सर्वाधिक प्रिय रचनाकार हैं।) आज का प्रबुद्ध पाठक उनके सृजन-चिन्तन के प्रति एक विशेष प्रकार के गहरे लगाव का अनुभव करता रहा है। ‘अज्ञेय रचनावली’ की प्रकाशन-योजना पाठक के उसी गहरे लगाव को पूरा करने का एक महत्त्वपूर्ण प्रयत्न है। अज्ञेय की साहित्य-यात्रा निरन्तर उत्कर्ष की ओर जानेवाली गरिमामय यात्रा का इतिहास सामने लाती है। सच बात तो यह है कि स्वाधीनता-प्राप्ति के बाद के भारतीय साहित्य को वे दूर तक प्रेरित-प्रभावित करते रहे हैं।

KEYWORD

नयी कविता, उदय, विकास, स्वरूप, भारतीय संस्कृति, भारतीय परंपरा, भारतीय आधुनिकता, सहित्य-कला-संस्कृति, भाषा, साक्षात्कार