रामकृष्णपरमहंसदिव्यचरितम् में करुण रस एक विवेचन

Exploring the Karuna Rasa in the Divine Biography of Ramakrishna Paramahansa

by संध्या .*,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 15, Issue No. 7, Sep 2018, Pages 446 - 449 (4)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

भारत में काव्यलोचना की परम्परा का श्री गणेश यद्यपि वैदिक काल में ही हो गया था तथापि उसकी शास्त्र के रूप में प्रतिष्ठा प्रथमतः भरत के नाट्यशास्त्र में हुई जो इस बात का संकेत करता है कि संस्कृत में साहित्यिक समीक्षा का आरंभ बहुत पहले से हो गया होगा । भरत का नाट्यशास्त्र रस सिद्धांत से न केवल पूर्ण परिचित है अपितु उसका सांगोपांग एवं विस्तृत विवेचन किया है।

KEYWORD

रामकृष्णपरमहंसदिव्यचरितम्, करुण रस, श्री गणेश, भरत, नाट्यशास्त्र, साहित्यिक समीक्षा, रस सिद्धांत, सांगोपांग, विवेचन