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षट्कर्मों से पाचन रोगों का निदान | Original Article

Sandeep Kumar*, Kiran Verma, in International Journal of Physical Education & Sports Sciences | Physical Education, Health, Fitness & Sports

ABSTRACT:

योग विद्या की विविध परम्पराओं में “हठयोग” का महत्वपूर्ण स्थान हैं। हठयोग विद्या को तत्रं विद्या के अत्यधिक निकट माना जाता है अर्थात्, ऐसा मत है कि तंत्र से ही हठयोग की उत्पत्ति हुई। संभवतः ऐसा मानने के पीछे यह कारण रहा होगा कि भगवान् आदिनाथ (शिव) ही इन दोनों विद्याओं (तत्र, एवं हठविद्या) के आदिप्रणेता थे। उन्हीं से इनका आवीर्भाव माना जाता है।