केदारनाथ सिंह के काव्य का लोकपक्ष

जोड़ती बिंबों के लोकपक्ष: केदारनाथ सिंह के हिंदी काव्य का अध्ययन

Authors

  • Sheel .

Keywords:

केदारनाथ सिंह, काव्य, लोकपक्ष, जोड़ता, छवि, कविता, आंखों, ढल

Abstract

केदारनाथ सिंह की कविताओं में सबसे अधिक आया हुआ बिंब वह है जो ‘जोड़ता’ है उन्हें वह हर चीज़ पसंद थी जो जोड़ती है वो चाहे सड़क हो या पुल, शब्द हो या सड़क, जो लोगों को मिलाती है, उनकी आंखों में एक छवि बनकर तैरती रहती और फिर पिघलकर कविता में ढल जाती है

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Published

2019-02-01

How to Cite

[1]
“केदारनाथ सिंह के काव्य का लोकपक्ष: जोड़ती बिंबों के लोकपक्ष: केदारनाथ सिंह के हिंदी काव्य का अध्ययन”, JASRAE, vol. 16, no. 2, pp. 172–174, Feb. 2019, Accessed: Sep. 20, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/10090

How to Cite

[1]
“केदारनाथ सिंह के काव्य का लोकपक्ष: जोड़ती बिंबों के लोकपक्ष: केदारनाथ सिंह के हिंदी काव्य का अध्ययन”, JASRAE, vol. 16, no. 2, pp. 172–174, Feb. 2019, Accessed: Sep. 20, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/10090