स्वातन्त्रयोत्तर हिन्दी कविता एवं रचनात्मक सरोकार
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Keywords:
स्वातन्त्रयोत्तर हिन्दी कविता, रचनात्मक सरोकार, स्वतन्त्रता, नई प्रवृत्तियाँ, काव्यधाराAbstract
स्वतन्त्रता के बाद जो काव्य रचा गया था, उसमें कुछ नई प्रवृत्तियों का समावेश था। यह नयापन विषयगत और शिल्पगत दोनों प्रकार का था। ये नयी प्रवृत्तियाँ ही किस काव्यधारा की अलग पहचान करवाने में पूर्ण भूमिका निभाती हैं।Published
2019-02-01
How to Cite
[1]
“स्वातन्त्रयोत्तर हिन्दी कविता एवं रचनात्मक सरोकार: -”, JASRAE, vol. 16, no. 2, pp. 382–385, Feb. 2019, Accessed: Dec. 25, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/10136
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Articles
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[1]
“स्वातन्त्रयोत्तर हिन्दी कविता एवं रचनात्मक सरोकार: -”, JASRAE, vol. 16, no. 2, pp. 382–385, Feb. 2019, Accessed: Dec. 25, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/10136






