स्वातन्त्रयोत्तर हिन्दी कविता एवं रचनात्मक सरोकार

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Authors

  • Ramita Devi

Keywords:

स्वातन्त्रयोत्तर हिन्दी कविता, रचनात्मक सरोकार, स्वतन्त्रता, नई प्रवृत्तियाँ, काव्यधारा

Abstract

स्वतन्त्रता के बाद जो काव्य रचा गया था, उसमें कुछ नई प्रवृत्तियों का समावेश था। यह नयापन विषयगत और शिल्पगत दोनों प्रकार का था। ये नयी प्रवृत्तियाँ ही किस काव्यधारा की अलग पहचान करवाने में पूर्ण भूमिका निभाती हैं।

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Published

2019-02-01

How to Cite

[1]
“स्वातन्त्रयोत्तर हिन्दी कविता एवं रचनात्मक सरोकार: -”, JASRAE, vol. 16, no. 2, pp. 382–385, Feb. 2019, Accessed: Dec. 25, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/10136

How to Cite

[1]
“स्वातन्त्रयोत्तर हिन्दी कविता एवं रचनात्मक सरोकार: -”, JASRAE, vol. 16, no. 2, pp. 382–385, Feb. 2019, Accessed: Dec. 25, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/10136