सामूहिक सुरक्षा: एक अध्ययन

सामूहिक सुरक्षा के सिद्धान्त और आवश्यकता: एक अध्ययन

Authors

  • Parmod Kumar

Keywords:

सामूहिक सुरक्षा, अध्ययन, शक्ति प्रबन्ध, सबके लिए, राष्ट्रीय हितों, व्यवस्था, आक्रमण, पारस्परिक आवश्यक समझौता, बंधन, युद्ध

Abstract

सामूहिक सुरक्षा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर शक्ति प्रबन्ध का आधुनिक साधन है। सामूहिक सुरक्षा को कभी-कभी शान्ति के भवन के स्तम्भ का आधार कहा जाता है। वास्तव में सामूहिक सुरक्षा “एक सबके लिए” सब एक के लिए का सैद्धान्तिक रूप है।“सामूहिक सुरक्षा के सिद्धान्त के अनुसार सभी राज्य अपने राष्ट्रीय हितों को सारे विश्व व्यवस्था की सुरक्षा के साथ इस तरह मिला दें कि कहीं भी, किसी भी राज्य द्वारा किसी भी आक्रमण के खतरे को समाप्त करने के लिए हमेशा तत्पर रहें।”अर्थात् “यह राज्यों के बीच एक पारस्परिक आवश्यक समझौता है। प्रत्येक राष्ट्र दूसरे राष्ट्रों की सुरक्षा की गारण्टी देता है और शायद इसी गारण्टी की वजह से दूसरे राष्ट्रों द्वारा किये वायदों द्वारा उसे अपनी सुरक्षा की गारण्टी मिलती है।”अर्थात् “सामूहिक सुरक्षा एक व्यापक अवधारणा है जिसके अनुसार सभी राष्ट्र एक अस्पष्ट बंधन में बँधे होते है जिसके अन्तर्गत किसी राज्य द्वारा अस्मिात् की गयी किसी कार्यवाही के लिए व उचित उत्तर देने के लिय वचनबद्ध होते हैं।”अर्थात “सामूहिक सुरक्षा युद्ध को शुरू होने से रोकने या अगर ऐसा न हो सके तो युद्ध के शिकार की सुरक्षा करना जैसा महत्वपूर्ण दायित्व निभाति है।”

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Published

2019-02-01

How to Cite

[1]
“सामूहिक सुरक्षा: एक अध्ययन: सामूहिक सुरक्षा के सिद्धान्त और आवश्यकता: एक अध्ययन”, JASRAE, vol. 16, no. 2, pp. 605–608, Feb. 2019, Accessed: Dec. 25, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/10182

How to Cite

[1]
“सामूहिक सुरक्षा: एक अध्ययन: सामूहिक सुरक्षा के सिद्धान्त और आवश्यकता: एक अध्ययन”, JASRAE, vol. 16, no. 2, pp. 605–608, Feb. 2019, Accessed: Dec. 25, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/10182