महादेवी वर्मा का काव्य और गीति-सौष्ठव

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Authors

  • Vinod Kumar

Keywords:

महादेवी वर्मा, काव्य, गीति-सौष्ठव, हिन्दी, छायावादी, प्रसुमनि, प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, निराला, गीति, प्रणय, वेदना, दुःख, करुणा, रहस्यवाद, सर्वात्मवाद, छायावाद, सम्यक् पहचान

Abstract

हिन्दी की छायावादी काव्य-धारा के आधार-स्तम्भों में ‘प्रसुमनि’ (प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, महादेवी, निराला) कवियों का विशेष योगदान रहा है। महादेवी के काव्य में एक साथ गीति, प्रणय, वेदना, दुःख, करुणा, रहस्यवाद, छायावाद, सर्वात्मवाद इत्यादि के दर्शन किये जा सकते हैं। छायावाद की सम्यक् पहचान इनके काव्य में हो जाती है।

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Published

2019-02-01

How to Cite

[1]
“महादेवी वर्मा का काव्य और गीति-सौष्ठव: -”, JASRAE, vol. 16, no. 2, pp. 715–718, Feb. 2019, Accessed: Dec. 26, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/10206

How to Cite

[1]
“महादेवी वर्मा का काव्य और गीति-सौष्ठव: -”, JASRAE, vol. 16, no. 2, pp. 715–718, Feb. 2019, Accessed: Dec. 26, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/10206