चुनाव सुधार: एक वर्तमान आवश्यकता
चुनाव सुधार: लोकतांत्रिक व्यवस्था में आवश्यकता
Keywords:
चुनाव सुधार, आवश्यकता, संविधान, राजनीतिज्ञ, चुनाव मशीनरी, लोकतांत्रिक व्यवस्थाAbstract
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से अब तक देश में कई आम चुनाव संपादित हो चुके है। इन चुनावों के समय उजागर होने वाली विभिन्न कमियों और असंगतियों की समय-समय पर चर्चा भी हुई है। इस चर्चा में संविधान के टीकाकार, राजनीतिज्ञ, राजनीतिक समीक्षक, न्यायाधीश, पत्रकार, राजनीतिक विज्ञान के प्राध्यापक और जनसाधारण तक शामिल हुए है। राजनीतिक दलों द्वारा भी समय-समय पर प्रस्ताव पारित कर के चुनाव सुधारों के बारें में लगभग यहीं सहमति सी पाई जाती है कि यदि चुनाव में धन के दुषित प्रभाव, बढ़ती हिसां, अत्यधिक खचीर्ले चुनाव, निर्दलीयों की बढ़ती बाढ़, जाली मतदान की घटनाएं तथा स्वतंत्र व निष्पक्ष मतदान कराने वाली चुनाव मशीनरी की ही निष्पक्षता पर संदेह जैसी प्रवर्तियों पर नियंत्रण स्थापित नहीं किया गया तो हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था के भविष्य के आगे ही प्रश्नवाचक चिह्न लग जाएगा। अतः समय रहते चुनाव सुधार नहीं किए गए तो हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था की बुनियाद ही खोखली हो जाएगी। फलस्वरूप निर्वाचन सुधार समय की आवश्यकता है।Published
2019-02-01
How to Cite
[1]
“चुनाव सुधार: एक वर्तमान आवश्यकता: चुनाव सुधार: लोकतांत्रिक व्यवस्था में आवश्यकता”, JASRAE, vol. 16, no. 2, pp. 746–749, Feb. 2019, Accessed: Dec. 25, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/10212
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Articles
How to Cite
[1]
“चुनाव सुधार: एक वर्तमान आवश्यकता: चुनाव सुधार: लोकतांत्रिक व्यवस्था में आवश्यकता”, JASRAE, vol. 16, no. 2, pp. 746–749, Feb. 2019, Accessed: Dec. 25, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/10212






