भारत में राष्ट्रवादी विचारधारा को आगे बढ़ाने में आर्य समाज का महत्त्वपूर्ण योगदान
The Significance of Arya Samaj in Promoting Nationalistic Thought in India
Keywords:
आर्य समाज, राष्ट्रवादी विचारधारा, महर्षि देव दयानन्द सरस्वती, अंधविश्वास, हिंदी, धर्म, सत्यार्थ प्रकाश, देश-प्रेम, राष्ट्रीय भावना, वैदिक धर्मAbstract
आर्य समाज एक क्रन्तिकारी आन्दोलन है जिसका मुख्य उद्देश्य समाज में फैले विभिन्न-प्रकार के पाखंड, मत-मतान्तर, जाति-पाती, अनेक-प्रकार के सम्प्रदायो, मूर्ति-पूजा, आदि अन्धविश्वास को दूर करने वाला एक विश्वव्यापी आन्दोलन है इसके प्रवर्तक महर्षि देव दयानन्द सरस्वती है। स्वामी दयानंद सरस्वती उन महान संतों में अग्रणी हैं जिन्होंने देश में प्रचलित अंधविश्वास रूढ़िवादिता विभिन्न प्रकार के आडंबरों व सभी अमानवीय आचरणों का विरोध किया। हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में मान्यता देने तथा हिंदू धर्म के उत्थान व इसके स्वाभिमान को जगाने हेतु स्वामी जी के महत्वपूर्ण योगदान के लिए भारतीय जनमानस सदैव उनका ऋणी रहेगा। समाज से अज्ञानता रूढिवादिता व अंधविश्वास को मिटाने हेतु उन्होंने धर्मग्रंथ ‘सत्यार्थ प्रकाश’ की रचना की। उनकी वाणी इतनी अधिक प्रभावी व ओजमयी थी कि श्रोता के अंतर्मन को सीधे प्रभावित करती थी। उनमें देश-प्रेम व राष्ट्रीय भावना कूट-कूटकर भरी हुई थी। आर्य समाज ने हिन्दुओं में प्रचलित सम्प्रदायवाद, मत-मतान्तरों, मूर्ति-पूजा, श्राद्ध, जाति-पांति, अस्पृश्यता, कन्या-वध, कन्या और वर-विक्रय इत्यादि का घोर विरोध करते हुए शिक्षा का प्रसार, वैदिक धर्म तथा प्राचीन आर्य सभ्यता के पुनरुत्थान का भागीरथ प्रयास किया। इस शोध-पत्र में भारत में राष्ट्रवादी विचारधारा को आगे बढ़ाने में आर्य समाज का महत्त्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला गया है।Published
2019-02-01
How to Cite
[1]
“भारत में राष्ट्रवादी विचारधारा को आगे बढ़ाने में आर्य समाज का महत्त्वपूर्ण योगदान: The Significance of Arya Samaj in Promoting Nationalistic Thought in India”, JASRAE, vol. 16, no. 2, pp. 1072–1075, Feb. 2019, Accessed: Dec. 26, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/10277
Issue
Section
Articles
How to Cite
[1]
“भारत में राष्ट्रवादी विचारधारा को आगे बढ़ाने में आर्य समाज का महत्त्वपूर्ण योगदान: The Significance of Arya Samaj in Promoting Nationalistic Thought in India”, JASRAE, vol. 16, no. 2, pp. 1072–1075, Feb. 2019, Accessed: Dec. 26, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/10277






