हिन्दी के प्रारंभिक उपन्यासों का तुलनात्मक अध्ययन

भारतीय और विदेशी उपन्यासों के तुलनात्मक अध्ययन

Authors

  • Renu Mittal

Keywords:

उपन्यास, भारत, विदेश, चेतना, विकास

Abstract

उपन्यास वास्तव में साहित्य की नवीनतम विधा है, यही कारण है कि अनेक भारतीय एवं विदेशी भाषाओं में इसका नामकरण तक नवीन शब्दों द्वारा किया गया है। आचार्य नंददुलारे वाजपेयी का विचार है कि ‘‘उपन्यास भारत तथा विदेश दोनों में ही आधुनिक युग की उपलब्धि है एवं उसका आगमन भी नवीन युग के आगमन का सूचक है। भारत में उपन्यास का उदय आधुनिक चेतना की अभिव्यक्ति के कलात्मक माध्यम के रूप में होता है। विधेयवाद के जनक ‘अगस्त कॉमते’ के विचारों का प्रभाव केवल यूरोपीय उपन्यास तक ही सीमित न रहकर भारतीय उपन्यास के विकास पर भी पड़ा है। ‘‘भारत में उपन्यास के विकास का मार्गदर्शन करने वाले और भारतीय उपन्यास की संभावनाओं को साकार रूप देनेवाले बंगाल के बंकिमचंद्र के उपन्यासों की रचनादृष्टि के पीछे विधेयवाद की सर्जनात्मक भूमिका को अनेक आलोच कों ने स्वीकार किया है।वास्तव में, भारत में उपन्यास का उदय अभिषप्त स्थितियों में हुआ। भारत में उपन्यास का जन्म 19वीं सदी के मध्य में तब हुआ जब भारत में अंग्रेजों का प्रभुत्व था। यूरोप में उपन्यास का उदय जिन परिस्थितियों में हुआ वे परिस्थितियाँ भारत के संदर्भ में ठीक विपरीत थीं। भारत में न यूरोप की तर्ज़ पर औद्योगीकरण हुआ, न ही मध्यवर्ग का विकास।

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Published

2019-02-01

How to Cite

[1]
“हिन्दी के प्रारंभिक उपन्यासों का तुलनात्मक अध्ययन: भारतीय और विदेशी उपन्यासों के तुलनात्मक अध्ययन”, JASRAE, vol. 16, no. 2, pp. 1116–1121, Feb. 2019, Accessed: Aug. 03, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/10285

How to Cite

[1]
“हिन्दी के प्रारंभिक उपन्यासों का तुलनात्मक अध्ययन: भारतीय और विदेशी उपन्यासों के तुलनात्मक अध्ययन”, JASRAE, vol. 16, no. 2, pp. 1116–1121, Feb. 2019, Accessed: Aug. 03, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/10285