धर्मवीर भारती का कथा साहित्य का अलोचनात्तम पालन
Exploring the Criticism and Influence of Dharmvir Bharti's Katha Sahitya through the Lens of Arya Samaj and Travel Experiences
Keywords:
धर्मवीर भारती, कथा साहित्य, अलोचना, पालन, आर्यसमाज, तर्कशैली, इलाहाबाद, विशेष प्रिय, फूलोंAbstract
धर्मवीर भारती का जन्म 25 दिसंबर 1926 को इलाहाबाद के अतर सुइया मुहल्ले में हुआ। उनके पिता का नाम श्री चिरंजीव लाल वर्मा और माँ का श्रीमती चंदादेवी था। स्कूली शिक्षा डी. ए वी हाई स्कूल में हुई और उच्च शिक्षा प्रयाग विश्वविद्यालय में। प्रथम श्रेणी में एम ए करने के बाद डॉ॰ धीरेन्द्र वर्मा के निर्देशन में सिद्ध साहित्य पर शोध-प्रबंध लिखकर उन्होंने पीएच.डी. प्राप्त की। घर और स्कूल से प्राप्त आर्यसमाजी संस्कार, इलाहाबाद और विश्वविद्यालय का साहित्यिक वातावरण, देश भर में होने वाली राजनैतिक हलचलें, बाल्यावस्था में ही पिता की मृत्यु और उससे उत्पन्न आर्थिक संकट इन सबने उन्हें अतिसंवेदनशील, तर्कशील बना दिया। उन्हें जीवन में दो ही शौक थे अध्ययन और यात्रा। भारती के साहित्य में उनके विशद अध्ययन और यात्रा-अनुभवों का प्रभाव स्पष्ट देखा जा सकता है जानने की प्रक्रिया में होने और जीने की प्रक्रिया में जानने वाला मिजाज जिन लोगों का है उनमें मैं अपने को पाता हूँ। (ठेले पर हिमालय) उन्हें आर्यसमाज की चिंतन और तर्कशैली भी प्रभावित करती है और रामायण, महाभारत और श्रीमद्भागवत। प्रसाद और शरत्चन्द्र का साहित्य उन्हें विशेष प्रिय था। आर्थिक विकास के लिए मार्क्स के सिद्धांत उनके आदर्श थे परंतु मार्क्सवादियों की अधीरता और मताग्रहता उन्हें अप्रिय थे। ‘सिद्ध साहित्य’ उनके शोध’ का विषय था, उनके सटजिया सिद्धांत से वे विशेष रूप से प्रभावित थे। पश्चिमी साहित्यकारों में शीले और आस्करवाइल्ड उन्हें विशेष प्रिय थे। भारती को फूलों का बेहद शौक था। उनके साहित्य में भी फूलों से संबंधित बिंब प्रचुरमात्रा में मिलते हैं।Published
2019-02-01
How to Cite
[1]
“धर्मवीर भारती का कथा साहित्य का अलोचनात्तम पालन: Exploring the Criticism and Influence of Dharmvir Bharti’s Katha Sahitya through the Lens of Arya Samaj and Travel Experiences”, JASRAE, vol. 16, no. 2, pp. 1135–1139, Feb. 2019, Accessed: Dec. 25, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/10288
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Section
Articles
How to Cite
[1]
“धर्मवीर भारती का कथा साहित्य का अलोचनात्तम पालन: Exploring the Criticism and Influence of Dharmvir Bharti’s Katha Sahitya through the Lens of Arya Samaj and Travel Experiences”, JASRAE, vol. 16, no. 2, pp. 1135–1139, Feb. 2019, Accessed: Dec. 25, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/10288






