ग्रामीण प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शहरी महिला शिक्षको कार्यस्थल परिस्थितियों तथा कार्य संतुष्टि के बीच सम्बन्ध का अध्ययन
Examining the Relationship between Workplace Conditions and Job Satisfaction of Urban Female Teachers in Rural Primary Schools
Keywords:
ग्रामीण प्राथमिक विद्यालयों, कार्यरत शहरी महिला शिक्षकों, कार्यस्थल परिस्थितियाँ, कार्य संतुष्टि, शिक्षाAbstract
कामकाजी महिलाएं दोहरे दायित्वों का निर्वाह करती हैं जिससे वे तनावग्रस्त हो जाती हैं। नारी को शिक्षित करने से पूरा परिवार शिक्षित होता है, उसी तरह किसी समाज में नारी की स्थिति को ज्ञात करने के लिए नारी की शिक्षा की स्थिति को देखकर उसे ज्ञात किया जा सकता है। शिक्षा के समान अवसर नारियों की सम्मान जनक स्थिति दर्शाता है। प्राचीन काल में ऋग्वैदिक साहित्य में नारी की शिक्षा का अत्यन्त महत्व था तथा उसे पुरूषों के समान अवसर प्राप्त थे। अतएव उस दौर में नारी का समुचित सम्मान था तथा प्रत्येक क्षेत्र में पुरूषों की तरह उनकी भी सहभागिता निहित रहती थी। शनैः शनैः उत्तर वैदिक युग में पुरूषों का प्रभुत्व बढ़ता गया तथा नारी को शिक्षा से वंचित किया जाने लगा फिर भी उस समय शिक्षा की उतनी खराब स्थिति नहीं थी जितनी कि मध्य युग आते-आते हो गई। नारी की शिक्षा तथा उसके शोषित होने का सीधा सम्बन्ध है। सामाजिक उथल पुथल के बीच उत्तर वैदिक युग का अंत होते होते नारी की शिक्षा में कमी होती गयी। भारत की परतंत्रता के बाद ब्रिटिश शासकों द्वारा उनकी शिक्षा हेतु समुचित व्यवस्था नहीं की गई। वर्ष 1981 में प्राथमिक कक्षाओं में महिलाओं की संख्या 64.107-, माध्यमिक कक्षाओं में महिलाओं की संख्या 28.60- उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में महिलाओं की संख्या 11.107- थी। वर्ष 1991 में प्राथमिक कक्षाओं में महिलाओं की संख्या 85.50- माध्यमिक कक्षाओं में महिलाओं की संख्या 47.00-, उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में महिलाओं की संख्या 10.30- थी। वर्ष 2001 में प्राथमिक कक्षाओं में महिलाओ की संख्या 85. 90-, माध्यमिक कक्षाओं में महिलाओं की संख्या 49.90- उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में महिलाओं की संख्या 35.037- थी। वर्ष 2011 में प्राथमिक कक्षाओं में महिलाओं की संख्या 87.60- माध्यमिक कक्षाओं में महिलाओं की संख्या 49.957- हो गई। इस प्रकार तालिका से स्पष्ट होता है कि प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में महिलाओं की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। भारत में उन्नीसवीं सदी के अंतिम चरण में आर्थिक क्षेत्र, व्यवसाय एवं व्यापार में महिलाओं का स्थान महत्तवपूर्ण बनता जा रहा है। निम्नवर्ग की महिलाओं ने तो आर्थिक महँगाई के कारण विवश होकर मजदूरी प्रारंभ की। उन्नीसवीं सदी में महिला कृषि कार्य करती थी। किन्तु मध्यम वर्गीय महिला का व्यवसाय में प्रवेश विलंब से हुआ। मध्यमवर्गीय महिला ने प्रारंभ में शिक्षक का कार्य किया। द्वितीय विष्व युद्ध के समय (1940-42) भारतीय महिलाओं का उत्थान प्रारंभ होने लगा था।Published
2019-02-01
How to Cite
[1]
“ग्रामीण प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शहरी महिला शिक्षको कार्यस्थल परिस्थितियों तथा कार्य संतुष्टि के बीच सम्बन्ध का अध्ययन: Examining the Relationship between Workplace Conditions and Job Satisfaction of Urban Female Teachers in Rural Primary Schools”, JASRAE, vol. 16, no. 2, pp. 1484–1492, Feb. 2019, Accessed: Dec. 25, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/10354
Issue
Section
Articles
How to Cite
[1]
“ग्रामीण प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शहरी महिला शिक्षको कार्यस्थल परिस्थितियों तथा कार्य संतुष्टि के बीच सम्बन्ध का अध्ययन: Examining the Relationship between Workplace Conditions and Job Satisfaction of Urban Female Teachers in Rural Primary Schools”, JASRAE, vol. 16, no. 2, pp. 1484–1492, Feb. 2019, Accessed: Dec. 25, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/10354






