चांदनी – कवि गुलाब

चांदनी और कवि गुलाब के गीत: भावुकता की मुखरित रूपन्तरण

Authors

  • Veemmi Rani

Keywords:

चांदनी, कवि गुलाब, गीतों, रचनाकाल, चंद्र, चंद्रानन, सदा, कवि, भावुकता, लेखनी

Abstract

चांदनी के गीतों का रचनाकाल सन १९३९ ई. से १९४५ के मध्य का है तथा इसका प्रकाशन १९४५ में हुआ था। चंद्र और चंद्रानन दोनों सदा से सहदयों को लुभाते रहे हैं। कवि गुलाब को भी चांदनी ने बहुत मुग्ध किया है। चांदनी के गीत कवि की भावुकता का मुखरित रूप है। विश्व का कदाचित ही कोई ऐसा कवि हो जिसने चांदनी पर अपनी लेखनी न उठायी हो पर किसी एक कवि ने लगभग पचास गीत लिखे हों यह अभी देखने में नहीं आया है।

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Published

2019-03-01

How to Cite

[1]
“चांदनी – कवि गुलाब: चांदनी और कवि गुलाब के गीत: भावुकता की मुखरित रूपन्तरण”, JASRAE, vol. 16, no. 4, pp. 1764–1766, Mar. 2019, Accessed: Sep. 03, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/10732

How to Cite

[1]
“चांदनी – कवि गुलाब: चांदनी और कवि गुलाब के गीत: भावुकता की मुखरित रूपन्तरण”, JASRAE, vol. 16, no. 4, pp. 1764–1766, Mar. 2019, Accessed: Sep. 03, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/10732