मुंशी प्रेमचन्द्र का हिन्दी साहित्य मे योगदान- एक समीक्षा

Exploring the Contribution of Munshi Premchand in Hindi Literature

Authors

  • Dr. Chitra Yadav

Keywords:

मुंशी प्रेमचन्द्र, हिन्दी साहित्य, समीक्षा, रचनाकार, कथा साहित्य, गरीब श्रमिक, किसान, स्त्री जीवन, हिंदी उपन्यास, प्रासंगिकता

Abstract

हिंदी उपन्यास की परंपरा इतनी गहरी और विभिन्न रंगो से भरपूर है की इस छोटे से लेख में इस विषय को न्याय देना असंभव ही है प्रेमचन्द ने हिन्दी साहित्य को निश्चित दिशा दी है। प्रेमचन्द आज भी उतने ही प्रासंगिक है जितने अपने दौर में रहे हैं, बल्कि किसान जीवन की उनकी पकड और समझ को देखते हुए उनकी प्रासंगिकता और अधिक बढ जाती है। किसान जीवन के यथार्थवादी चित्र्ण में प्रेमचन्द हिन्दी साहित्य में अनूठे और लाजवाब रचनाकार रहे हैं। प्रेमचन्द का कथा साहित्य जितना समकालीन परिस्थितियों पर खरा उतरता है,उतना ही बहुत हद तक आज भी दिखाई देता है। उनकी रचनाओं में गरीब श्रमिक, किसान और स्त्री जीवन का सशक्त चित्र्ण उनकी दर्जनों कहानियों और उपन्यासों में हुआ है, ‘सद्गति’, ‘कफन’, ‘पूस की रात’ और ‘गोदान’ में मिलता है। ‘रंगभूमि’, ‘प्रेमाश्रम’ और ‘गोदान’ के किसान आज भी गाँवों में देखे जा सकते हैं साहित्य के क्षेत्र में प्रेमचंद का योगदान अतुलनीय है। उन्होंने कहानी और उपन्यास के माध्यम से लोगों को साहित्य से जोड़ने का काम किया, उनके द्वारा लिखे गए उपन्यास और कहानियां आज भी प्रासंगिक हैं।

Downloads

Published

2019-04-01

How to Cite

[1]
“मुंशी प्रेमचन्द्र का हिन्दी साहित्य मे योगदान- एक समीक्षा: Exploring the Contribution of Munshi Premchand in Hindi Literature”, JASRAE, vol. 16, no. 5, pp. 912–919, Apr. 2019, Accessed: Aug. 03, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/11030

How to Cite

[1]
“मुंशी प्रेमचन्द्र का हिन्दी साहित्य मे योगदान- एक समीक्षा: Exploring the Contribution of Munshi Premchand in Hindi Literature”, JASRAE, vol. 16, no. 5, pp. 912–919, Apr. 2019, Accessed: Aug. 03, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/11030