सहजीवन का सच भारतीय समाज के संदर्भ में
युवा वर्ग और संबंधी जाति-धर्म के प्रति समाज की धार्मिकता और संशय
Keywords:
सहजीवन, भारतीय समाज, युवा वर्ग, जाति-धर्म, समाज, संशय, उपेक्षाभाव, सुपर अभिभावक, सुप्रीम कोर्ट, दार्शनिकAbstract
भारतीय समाज जहाँ एक ओर युवा वर्ग जाति-धर्म से बेखबर होकर ‘सहजीवन’ को अपना रहे हैं। वहीं दूसरी ओर समाज का एक तबक ऐसे संबंधों के प्रति संशय एवं उपेक्षाभाव रखकर ‘सुपर अभिभावक’ की भूमिका निभाते हैं। कई बार तो ‘सुप्रीम कोर्ट’ को भी ऐसे मामले में दखल देना पड़ता है। इसलिये दार्शनिक ढ़ंग से विचार अनिवार्य प्रतीत होता है।Published
2019-06-01
How to Cite
[1]
“सहजीवन का सच भारतीय समाज के संदर्भ में: युवा वर्ग और संबंधी जाति-धर्म के प्रति समाज की धार्मिकता और संशय”, JASRAE, vol. 16, no. 9, pp. 567–569, Jun. 2019, Accessed: Sep. 20, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/12263
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Articles
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[1]
“सहजीवन का सच भारतीय समाज के संदर्भ में: युवा वर्ग और संबंधी जाति-धर्म के प्रति समाज की धार्मिकता और संशय”, JASRAE, vol. 16, no. 9, pp. 567–569, Jun. 2019, Accessed: Sep. 20, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/12263