पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी - एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

अधिकार, स्वतंत्रता, और जन सहभागिता संबंधित भूमिका

Authors

  • Amit Kumar
  • Dr. Nidhi Raizada

Keywords:

पंचायती राज व्यवस्था, महिलाओं की भागीदारी, लोकतन्त्र, जन सहभागिता, नियंत्रण

Abstract

लोकतन्त्र मानव गरिमा, व्यक्ति की स्वतन्त्रता एवं समानता, राजनीतिक निर्णयों में जन भागीदारी के कारण शासन का श्रेष्ठतम रूप माना जाता है। लोकतन्त्र राजनीतिक परिस्थिति या शासन चलाने की पद्वति मात्र नहीं हैं अपितु यह सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक परिस्थिति भी है। लोकतंत्र एक विशेष प्रकार का शासन, एक विशिष्ट सामाजिक व्यवस्था, एक विशेष मनोवृत्ति एवं जीवन जीने की विशिष्ट पद्वति भी है। लोकतंत्र का सार जनता की सहभागिता एवं नियंत्रण में निहित है। लोकतंत्र का आधार शासन में जनसहभागिता के साथ ही शासन का निम्न स्तर तक विकेन्द्रीकरण है, उसी भावना का साकार स्वरूप पंचायतीराज व्यवस्था है। गांधीजी ने अपने अन्तिम सार्वजनिक लेख वसीयतनामे में लिखा है कि ‘‘सच्ची लोकशाही केन्द्र में बैठे 10-20 आदमी नहीं चला सकते, वह तो नीचे से गाँव के हर आदमी द्वारा चलाई जानी चाहिए।”

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Published

2019-06-01

How to Cite

[1]
“पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी - एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: अधिकार, स्वतंत्रता, और जन सहभागिता संबंधित भूमिका”, JASRAE, vol. 16, no. 9, pp. 1007–1012, Jun. 2019, Accessed: Sep. 20, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/12341

How to Cite

[1]
“पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी - एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: अधिकार, स्वतंत्रता, और जन सहभागिता संबंधित भूमिका”, JASRAE, vol. 16, no. 9, pp. 1007–1012, Jun. 2019, Accessed: Sep. 20, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/12341