काश्मीरशैवदर्शन में सिद्धसोमानन्द की शिवदृष्टि में शिवशक्तिप्रमातृसन्दर्शन
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Keywords:
काश्मीरशैवदर्शन, सिद्धसोमानन्द, शिवदृष्टि, शिवशक्तिप्रमातृसन्दर्शन, शैवदर्शनAbstract
भारतीय दर्शन परम्परा में शैवदर्शन की अद्वयपरम्परा परमशिव का सर्वत्र प्रतिपादन करती है। काश्मीरशैवदर्शन की शाखा को परमविद्वान् माहेश्वर सिद्ध सोमानन्द ने संरक्षित किया है। परवर्ती काल में इसी परम्परा को अभिनव गुप्त, क्षेमराज जी आदि ने पोषित कर संवर्धित किया है। इनका शिवदृष्टि नामक ग्रन्थ काश्मीर शैवदर्शन के ग्रन्थों में उपलब्ध प्रथम ग्रन्थ है, जो कि प्रकरण ग्रन्थ के रूप में विख्यात है। इस ग्रन्थ का वैशिष्ट्य है कि आचार्य ने तात्कालिक स्थिति तक सुख्यात सभी दर्शन के सम्प्रदायों का खण्डन कर स्वमत सर्वं शिवात्मकम् का मण्डन किया है। इसके साथ ही यह ग्रन्थ न्याय की शैली से लिखा गया है। शिवदृष्टि के अध्ययन से ज्ञात होता है कि शक्ति परमशिव से भिन्न नहीं है। परमशिव ही अपनी शक्ति से सृष्टि कर उसमें व्याप्त स्वयं को व्याप्त कर स्थित है।Published
2019-06-01
How to Cite
[1]
“काश्मीरशैवदर्शन में सिद्धसोमानन्द की शिवदृष्टि में शिवशक्तिप्रमातृसन्दर्शन: -”, JASRAE, vol. 16, no. 9, pp. 1305–1312, Jun. 2019, Accessed: Sep. 16, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/12393
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Articles
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[1]
“काश्मीरशैवदर्शन में सिद्धसोमानन्द की शिवदृष्टि में शिवशक्तिप्रमातृसन्दर्शन: -”, JASRAE, vol. 16, no. 9, pp. 1305–1312, Jun. 2019, Accessed: Sep. 16, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/12393