भारत में लोक अदालत की अवधारणा: वैकल्पिक न्याय समाधान

भारतीय न्याय प्रणाली में लोक अदालतों की भूमिका और महत्व

Authors

  • Ratan Singh Tomar
  • Prof. (Dr.) Narendra Kumar Thapak

Keywords:

लोक अदालत, विचाराधीन प्रकरणों, मुदमेबाजी, सूझ-बूझ, मामला, सुलह, न्याय समाधान, भारत, पक्षकार

Abstract

न्यायालयों में विचाराधीन प्रकरणों या मुदमेबाजी के पूर्व के विवादों का आपसी सूझ-बूझ के आधार पर निपटारा किऐ जाने हेतु लोक अदालतों का आयोजन किया जाता है। जिसमें पक्षकार अपने मामले का निपटारा आपसी समझौते, सूझ-बूझ एवं सुलह से लोक अदालतों के माध्यम से करा सकते हैं।

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Published

2019-06-01

How to Cite

[1]
“भारत में लोक अदालत की अवधारणा: वैकल्पिक न्याय समाधान: भारतीय न्याय प्रणाली में लोक अदालतों की भूमिका और महत्व”, JASRAE, vol. 16, no. 9, pp. 1592–1597, Jun. 2019, Accessed: Sep. 20, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/12440

How to Cite

[1]
“भारत में लोक अदालत की अवधारणा: वैकल्पिक न्याय समाधान: भारतीय न्याय प्रणाली में लोक अदालतों की भूमिका और महत्व”, JASRAE, vol. 16, no. 9, pp. 1592–1597, Jun. 2019, Accessed: Sep. 20, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/12440