भारत पर विदेशी ऋण

-

Authors

  • Dr. Swathi Sharma

Keywords:

विदेशी ऋण, आर्थिक विकास, विदेशी देश, पारिवर्तन, आय, ऊर्जा, संचार, अधो-संरचना, पूंजी, सार्वजनिक ऋण

Abstract

आर्थिक विकास की प्रक्रिया में अल्पविकसित देश की विकसित देश परिवर्तित होने की प्रक्रिया जटिल होती है। मजबूत आर्थिक स्थिति, उच्च आय और जीवन स्तर मजबूत अधो -संरचना, आधुनिक यातायात, परिवहन व संचार के साधन, पर्याप्त ऊर्जा, समस्त उत्पादन के साधनों का कुशलता पूर्वक दोहन जैसे अनके लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए पर्याप्त वित्त की आवश्यकता होती है। परंतु पूंजी की कमी निम्न आय, कम बचत और विनियोग जैसी समस्या के साथ वित्त की व्यवस्था जो आर्थिक विकास की प्रक्रिया को तीव्र करने, कुल उत्पादन और राष्ट्रीय आय में वृद्धि करने तथा आवश्यक संसाधन जुटाने के लिए सरकार के द्वारा सार्वजनिक ऋणों का प्रयोग किया जाता है तांकि देश वांछित लक्ष्य को प्राप्त कर सामाजवादी व लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना कर सकें।

Downloads

Published

2020-04-01

How to Cite

[1]
“भारत पर विदेशी ऋण: -”, JASRAE, vol. 17, no. 1, pp. 179–181, Apr. 2020, Accessed: Sep. 20, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/12607

How to Cite

[1]
“भारत पर विदेशी ऋण: -”, JASRAE, vol. 17, no. 1, pp. 179–181, Apr. 2020, Accessed: Sep. 20, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/12607