प्राथमिक विद्यालय स्तर पर बिजनौर जनपद के शहरी एवं ग्रामीण अध्यापकों के विभिन्न मूल्यों का तुलनात्मक अध्ययन

विकासात्मक मूल्यवान शिक्षा के अध्ययन पर एक तुलनात्मक अध्ययन

Authors

  • Arti Shukla
  • Dr. S. K. Mahto

Keywords:

प्राथमिक विद्यालय, शहरी एवं ग्रामीण अध्यापक, मूल्य, शिक्षा, विकास

Abstract

प्राचीनकाल में शिक्षा का उद्देश्य ज्ञान को अर्जित करना, संग्रहित करना, रचित करना, प्रसारित करना अथवा प्रदान करना होता था। इसके साथ ही उन्हें आध्यात्मिक और धार्मिक क्रिया-कलापों में सक्रिय रूप से मार्गदर्शन व सहयोग देना होता था। आज शिक्षा का अर्थ है- अध्ययन। अध्ययन ही अब शिक्षा अर्थ रह गया है जबकि शिक्षा का मूल उद्देश्य है - शारीरिक, मानसिक और भावात्मक विकास करना। शिक्षा के साथ मूल्य भी अनिवार्य रूप से जुड़े हुए हैं। इसमें कोई सन्देह नहीं कि बिना मूल्य के शिक्षा का कोई औचित्य नहीं है। अतः मूल्य विहीन शिक्षा निरर्थक है। शिक्षा के तात्पर्य मूलतः व्यक्तित्व के समग्र विकास से है।

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Published

2020-10-01

How to Cite

[1]
“प्राथमिक विद्यालय स्तर पर बिजनौर जनपद के शहरी एवं ग्रामीण अध्यापकों के विभिन्न मूल्यों का तुलनात्मक अध्ययन: विकासात्मक मूल्यवान शिक्षा के अध्ययन पर एक तुलनात्मक अध्ययन”, JASRAE, vol. 17, no. 2, pp. 297–309, Oct. 2020, Accessed: Sep. 20, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/12750

How to Cite

[1]
“प्राथमिक विद्यालय स्तर पर बिजनौर जनपद के शहरी एवं ग्रामीण अध्यापकों के विभिन्न मूल्यों का तुलनात्मक अध्ययन: विकासात्मक मूल्यवान शिक्षा के अध्ययन पर एक तुलनात्मक अध्ययन”, JASRAE, vol. 17, no. 2, pp. 297–309, Oct. 2020, Accessed: Sep. 20, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/12750