बैगा जनजाति की झूम (बेवर) कृषि पद्धति
The Agricultural Practices of Bagha Janjati (Bevar)
Keywords:
बैगा जनजाति, बेवर, कृषि पद्धति, संरक्षण, संस्कृतिAbstract
बैगा जनजाति मध्य प्रांत की जनजातियों के बीच एक अलग स्थान रखती है। इस जनजाति के विकास की स्थिति के आलोक में छत्तीसगढ़ सरकार ने इसे एक विशिष्ट पिछड़ी जनजाति श्रेणी में बनाए रखा है। एक विशेष पिछड़ा समूह होने के कारण बैगा जनजाति को सरकार का संरक्षण प्राप्त है, जिसके परिणामस्वरूप इस जनजाति के लिए कई सरकारी परियोजनाएं लागू की जा रही हैं। बैगा जनजाति जितनी पुरानी है उतनी ही प्राचीन बैगा की सभ्यता है। बैगा जनजाति ने अपनी संस्कृति को बनाए रखा है। उनका रहन-सहन और खान-पान काफी बुनियादी है। बैगा जनजाति के लोग पेड़ की पूजा करते हैं और बुद्ध देव और दूल्हे देव को अपनी दिव्यता मानते हैं। बैगा जादू टोना और जादू टोना में विश्वास रखता है। उनके कपड़े काफी खराब हैं। बैगा नर आम तौर पर अपने सिर पर एक लंगोटी और एक गमछा पहनते हैं, जबकि बैगा महिलाएं साड़ी और पोल्खा पहनती हैं। लेकिन अब मैदानी इलाकों में रहने वाले छोटे बच्चों ने शर्ट-पैंट भी अपनाना शुरू कर दिया है। इस लेख में बैगा जनजाति की झूम (बेवर) कृषि पद्धति को दर्शया गया हैPublished
2021-01-01
How to Cite
[1]
“बैगा जनजाति की झूम (बेवर) कृषि पद्धति: The Agricultural Practices of Bagha Janjati (Bevar)”, JASRAE, vol. 18, no. 1, pp. 474–476, Jan. 2021, Accessed: Sep. 20, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/13006
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Articles
How to Cite
[1]
“बैगा जनजाति की झूम (बेवर) कृषि पद्धति: The Agricultural Practices of Bagha Janjati (Bevar)”, JASRAE, vol. 18, no. 1, pp. 474–476, Jan. 2021, Accessed: Sep. 20, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/13006