समकालीन हिंदी कविता में पर्यावरण चिंता: मंगलेश डबराल की कविताओं के विशेष संदर्भ में
पर्यावरण चिंता: मंगलेश डबराल की कविताओं के विशेष संदर्भ में
Keywords:
समकालीन हिंदी कविता, पर्यावरण चिंता, मंगलेश डबराल, पर्यावरण संरक्षण, हिंदी साहित्यAbstract
पर्यावरण संरक्षण वर्तमान समय के विमर्शों का एक मुख्य विचारणीय बिंदु है। समाज विज्ञानों, तकनीक -विज्ञान, दर्शन से जुड़े लगभग सभी अकादमिक विमर्श तक इसकी व्याप्ति हो चुकी है। मानव जीवन से जुड़े सभी अनुशासनों मे यह चिंता मुख्य हो गई है कि हमें सबसे पहले पृथ्वी को बचाना है अन्यथा मानव ज्ञान व विज्ञान की समस्त उपलब्धियों का कोई अर्थ नहीं रह जायेगा।साहित्य और कला भी इस चिंता से मुक्त नहीं है। हिंदी साहित्य में आज विविध विमर्श चल रहे हैं। दलित, स्त्री आदिवासी विमर्शों जैसे महा आख्यानिक विमर्श के अतिरिक्त आज पर्यावरण की चिंता भी साहित्य के केंद्र मे आती जा रही है।Published
2021-03-01
How to Cite
[1]
“समकालीन हिंदी कविता में पर्यावरण चिंता: मंगलेश डबराल की कविताओं के विशेष संदर्भ में: पर्यावरण चिंता: मंगलेश डबराल की कविताओं के विशेष संदर्भ में”, JASRAE, vol. 18, no. 2, pp. 25–28, Mar. 2021, Accessed: Sep. 20, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/13031
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Articles
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[1]
“समकालीन हिंदी कविता में पर्यावरण चिंता: मंगलेश डबराल की कविताओं के विशेष संदर्भ में: पर्यावरण चिंता: मंगलेश डबराल की कविताओं के विशेष संदर्भ में”, JASRAE, vol. 18, no. 2, pp. 25–28, Mar. 2021, Accessed: Sep. 20, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/13031