कहानीकार जयशंकर प्रसाद का इतिहास के प्रति मोह
कहानीकार जयशंकर प्रसाद और उनका योगदान भारतीय साहित्य में
Keywords:
साहित्यकार, जयशंकर प्रसाद, भारतीय साहित्य, लेखनी, अतीतAbstract
हर रचना रचनाकार के मौलिक चिन्तन की अभिव्यक्ति है। भोगे हुए यथार्थ का प्रभाव उसपर पडना सहज है। यह उनके बहुआयामी व्यक्तित्व का दस्तावेज भी है। मानव को सकारात्मक एवं सक्रिय बनाने में साहित्यकार का योगदान सराहनीय है। श्री जयशंकर प्रसादजी ऐसा एक साहित्यकार है जिन्होंने भारत के स्वर्णिम अतीत के पुनःसृजन करने का प्रयत्न किया है। उनकी रचनाएं इसके साक्षी है, प्रमाण है। साहित्यकार अतीत का निषेध नहीं करता बल्कि उसको अवश्य ग्रहण करता ह। अतीत याने विरासत के ठोस धरातल पर खड़े होकर वह वर्तमान एवं भविष्य पर दृष्टि डालता है। गोया कि अतीत का पुनर्मूल्यांकन करते हुए वर्तमान में खडे होकर भविष्य को गढने का जोखिम भरा काम करनेवाला है साहित्यकार द्य ये दरअसल महान साहित्यकार होते है। व्यास, वाल्मीकि, कालिदास से लेकर सारे हिन्दी साहित्य के जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकान्तत्रिपाठी निराला, मुक्तिबोध जैसे अनेक प्रतिभा के धनी रचनाकारों ने मानव को सही दिशा निर्देश करने का कार्य किया है। यह सिर्फ भारतीय साहित्य की खासियत ही नहीं विश्व साहित्य इसका गवाह है। स्वाधीनता परवर्ती भारतीय समाज समस्याओं की चुनौती में खड़ा हुआ है। निराशाग्रस्त एवं आश्रयहीन होकर जनता भटक रही थी। ऐसी एक विकट परिस्थति में जनमानस के अन्तरंग को पहचानने में हिन्दी के बहुत सारे साहित्याकर सफल हुए है। जिनमें जयशंकर प्रसादजी का नाम विशेष उल्लेखनीय है। आप बहुमुखी प्रतिभा के धनी कलाकार है। कहानी, उपन्यास, काव्य, नाटक, जैसी सभी साहित्यिक विधाओं पर उन्होंने अपनी लेखनी चलायी है। उनकी सृजनात्कता की अपनी अलग विशेशषता है। उन्होंने मानव जीवन के यथार्थ को भारत के स्वर्णिम अतीत के साथ जोडने का सफल प्रयास किया है।Published
2021-04-01
How to Cite
[1]
“कहानीकार जयशंकर प्रसाद का इतिहास के प्रति मोह: कहानीकार जयशंकर प्रसाद और उनका योगदान भारतीय साहित्य में”, JASRAE, vol. 18, no. 3, pp. 324–331, Apr. 2021, Accessed: May 10, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/13127
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Section
Articles
How to Cite
[1]
“कहानीकार जयशंकर प्रसाद का इतिहास के प्रति मोह: कहानीकार जयशंकर प्रसाद और उनका योगदान भारतीय साहित्य में”, JASRAE, vol. 18, no. 3, pp. 324–331, Apr. 2021, Accessed: May 10, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/13127