रीवा भूगर्भिक संरचना, ऐतिहासिक भौगोलिक एवं आर्थिक परिप्रेक्ष्य : एक अध्ययन
Exploring the geological, historical, and economic perspectives of the Reeva region
Keywords:
भूगर्भिक संरचना, ऐतिहासिक भौगोलिक, आर्थिक परिप्रेक्ष्य, विन्ध्यन तन्त्र, भूजलीय स्वरूपAbstract
रीवां भूमि की संरचना मूलतः विन्ध्यन तन्त्र की शैल समूहों से हुई है जिनमें ऊपरी एवं निचली विन्ध्यन तन्त्र का विभाजन एक विषम विन्याषी तल द्वारा होता है जो उस काल की अपरदन सतह के रूप में है जबकि इस प्रदेश में जमाव की अपेक्षा अपरदन की प्रधानता रही । प्रदेश की शैल समूहों की उत्पत्ति, विशेषता एवं अश्मवैज्ञानिक प्रकृति के अध्ययन द्वारा न केवल स्थालाकृतिक एवं भूजलीय स्वरूप का ज्ञान होता है अपितु भ्वाकृतिक इतिहास की पुनर्रचना भी हो जाती है । रीवा पठार भारतीय राज्य मध्य प्रदेश में रीवा जिले के एक हिस्से को कवर करता है। रीवा पठार दक्षिण में कैमूर रेंज और उत्तर में विंध्य रेंज या बिंज पहार के बीच स्थित है। बिंज पहार के उत्तर में जलोढ़ मैदान हैं जिन्हें उपरीहार कहा जाता है। पठार में रीवा जिले की हुजूर, सिरमौर और मऊगंज तहसील शामिल हैं। दक्षिण से उत्तर की ओर ऊंचाई कम हो जाती है। कैमूर रेंज 450 मीटर (1,480 फीट) से अधिक है। रीवा रियासत की स्थापना बघेल राजपूतों (योद्धा जाति) ने लगभग 1400 में की थी। शहर को 1597 में राज्य की राजधानी के रूप में चुना गया था और ब्रिटिश बघेलखंड एजेंसी (1871-1931) और विंध्य प्रदेश राज्य (1948-56) की राजधानी के रूप में भी कार्य किया गया था। रीवा ने 1812 में अंग्रेजों के साथ संधि समझौतों में प्रवेश किया। शहर अन्य शहरों के साथ सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है और अनाज, भवन निर्माण पत्थर और लकड़ी के लिए एक व्यापार केंद्र है।Published
2021-07-01
How to Cite
[1]
“रीवा भूगर्भिक संरचना, ऐतिहासिक भौगोलिक एवं आर्थिक परिप्रेक्ष्य : एक अध्ययन: Exploring the geological, historical, and economic perspectives of the Reeva region”, JASRAE, vol. 18, no. 4, pp. 699–705, Jul. 2021, Accessed: Mar. 10, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/13308
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Articles
How to Cite
[1]
“रीवा भूगर्भिक संरचना, ऐतिहासिक भौगोलिक एवं आर्थिक परिप्रेक्ष्य : एक अध्ययन: Exploring the geological, historical, and economic perspectives of the Reeva region”, JASRAE, vol. 18, no. 4, pp. 699–705, Jul. 2021, Accessed: Mar. 10, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/13308