भारतीय संविधान एवं गांधी दर्शन

Authors

  • Dr. Parvez Ahmad Khan Principal, Krishna College of Law, Bijnor (UP)

Keywords:

भारतीय संविधान, गांधी दर्शन, व्यक्तित्व, समाज सुधारक, राजनीतिज्ञ, शिक्षाशास्त्री, लेखक, कार्यशैली, सामाजिक उत्थान, भूमिका

Abstract

कोई भी व्यक्ति जन्मजात महान नहीं होता। उसका आचरण, कार्य अथवा शिक्षा ही उसे महापुरूष बनाते हैं। उनका व्यक्तित्व एक साधारण व्यक्ति की तरह होते हुए भी उन्हें महान बना देता है। इसका मूल आधार इन व्यक्तियों का सामाजिक उत्थान के लिये अपना सबकुछ न्यौछावर करना है। महापुरूष अपनी ओर से किसी को कष्ट नहीं देते किन्तु दूसरों के लिये कष्ट उठाते हैं। महात्मा गाँधी ऐसे ही एक साधारण व्यक्ति थे किन्तु सम्पूर्ण विश्व उन्हें एक श्रेष्ठ समाज सुधारक, दार्शनिक, कुशल राजनीतिज्ञ, योग्य शिक्षाशास्त्री एवं निपुण लेखक के रूप में जानता है। ऐसा नहीं है कि उन्होंने इन क्षेत्रों में व्यवसायिक प्रशिक्षण प्राप्त किया हो वरन ये गुण उनकी कार्यशैली में विद्यमान थे। एक ओर वे समाज सुधार के उपाय बताते थे तो दूसरी ओर कुशल राजनीतिज्ञ की क्षमता रखते थे। गाँधी जी हर स्थिति का सामना करने को तैयार रहते थे एवं अपना कार्य स्वयं करना उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग था। आवश्यकता पड़ने पर उन्होंने किसी कार्य से मुँह नहीं मोड़ा। उन्होंने डाक्टर से लेकर बुनकर तक की भूमिका बखूबी निभाई।[1]

References

जाफर महमूद, ‘‘महात्मा गाँधी’’, ए.पी.एच. पब्लिशिंग कार्पोरेशन, नई दिल्ली।

ए.डी. आशीर्वादम, एवं कृष्णकान्त मिश्र, राजनीति विज्ञान, एस.चन्द एण्ड कम्पनी लि., नई दिल्ली, अध्याय 31।

धवन गोपीनाथ ‘‘द पालिटिकल फिलासफी ऑफ महात्मा गाँधी’’, नवजीवन पब्लिशिंग हाऊस, अहमदाबाद।

वीरेन्द्र ग्रोवर द्वारा संकलित मोहनदास करमचन्द गाँधी ए विवलियोग्राफी ऑफ हिज विजन एण्ड आइडियल्स, दीप एण्ड दीप पब्लिकेशन, नई दिल्ली। अध्याय 50।

डॉ. रायशकल पाण्डेय, ‘‘विश्व के श्रेष्ठ शिक्षाशास्त्री’’, अग्रवाल पब्लिकेशन, आगरा, अध्याय 30।

डॉ. जे. एन. पाडेय, भारत का संविधान, सेन्ट्रल लॉ एजेन्सी, इलाहाबाद।

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Published

2021-08-01

How to Cite

[1]
“भारतीय संविधान एवं गांधी दर्शन”, JASRAE, vol. 18, no. 5, pp. 105–108, Aug. 2021, Accessed: Sep. 19, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/13449

How to Cite

[1]
“भारतीय संविधान एवं गांधी दर्शन”, JASRAE, vol. 18, no. 5, pp. 105–108, Aug. 2021, Accessed: Sep. 19, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/13449