नागार्जुन के कथा साहित्य में जनवादी चेतना का अध्ययन
A Study of Janvadi Consciousness in the Narrative Literature of Nagarjun
Keywords:
नागार्जुन, कथा साहित्य, जनवादी चेतना, हिंदी साहित्य, व्यक्तित्वAbstract
हिंदी साहित्य के आधुनिक कल के प्रगतिशील विचारधारा के प्रमुख साहित्यकार बाबा नागार्जुन जनवादी भी थे साहित्य प्रतिभा के ऐसे व्यक्तित्व जिन्होंने मानव जीवन के सभी पहलुओं को सूझा रूप से देख उसका चित्रण अपनी भावनाओं में पिरोकर शब्दों में ढालकर कथा-साहित्य में साहित्य प्रेमियों के सम्मुख खुलकर रखा है यदपि रचनाकार के भौतिक व्यक्तित्व का परिचय उसकी कलाकृति में प्रतिबिंबित होता है, तथापि उसकी कलात्मकता से अलग भी उसका संसार होता है एक अनुसंधाता को किसी कलात्मकता के अध्ययन में उसके व्यक्तित्व का अध्ययन इसीलिए महत्वपूर्ण होता है, कि एक साहित्यकार के व्यक्तित्व की सम्पूर्ण जानकारी उसकी आदतें, उसके शौक, उसकी वृति प्रकृति, उसकी विचारधारा आदि किसी एक स्थान पर उपलब्ध नहीं होती इसी जिज्ञासा के परिणाम स्वरूप लेखक का बचपन, शिक्षा, दीक्षा, जीविका आदि बातें देखी जाती है इन परिस्थितियों का लेखक की सजन-प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ता है अपने जीवनकाल में प्राप्त अनुभवों से लेखक का निजी एवं साहित्यिक व्यक्तित्व आकार बद्ध होता है साहित्यकार की अनुभव-सम्पन्नता से उसकी जीवनद्रष्टि तथा कलाद्रष्टि भी विकसित होती है जीवन में प्राप्त अनुभवों से कलाकार के व्यक्तित्व को आकार प्राप्त होता है उसी का प्रतिबिंब उसके साहित्य में पड़ता हैPublished
2022-04-01
How to Cite
[1]
“नागार्जुन के कथा साहित्य में जनवादी चेतना का अध्ययन: A Study of Janvadi Consciousness in the Narrative Literature of Nagarjun”, JASRAE, vol. 19, no. 3, pp. 368–372, Apr. 2022, Accessed: Sep. 19, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/13887
Issue
Section
Articles
How to Cite
[1]
“नागार्जुन के कथा साहित्य में जनवादी चेतना का अध्ययन: A Study of Janvadi Consciousness in the Narrative Literature of Nagarjun”, JASRAE, vol. 19, no. 3, pp. 368–372, Apr. 2022, Accessed: Sep. 19, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/13887